जीवन क्षणभंगुर है: शिव मुनि
सिविल लाइंस जैन स्थानक में शिवमुनि ने मंगल प्रवचन में कहा कि मानव जीवन क्षणभंगुर है। मानव यह जानता, समझता और चिंतन करता है, फिर भी नहीं जागता। प्रतिपल धर्म की आराधना करो। करुणा दया का भाव भावित करो। आप प्रतिदिन सामायिक करते हो, इसका रहस्य क्या है? क्या वह सामायिक भाव से हो रही है।
लुधियाना, जागरण संवाददाता। सिविल लाइंस जैन स्थानक में शिवमुनि ने मंगल प्रवचन में कहा कि मानव जीवन क्षणभंगुर है। मानव यह जानता, समझता और चिंतन करता है, फिर भी नहीं जागता। प्रतिपल धर्म की आराधना करो। करुणा दया का भाव भावित करो। आप प्रतिदिन सामायिक करते हो, इसका रहस्य क्या है? क्या वह सामायिक भाव से हो रही है। सामायिक तीन प्रकार की है। श्रुत सामायिक, दर्शन सामायिक व चरित्र सामायिक। इन तीनों सामायिक से जब व्यक्ति गुजरता है तब आत्मा का परमात्मा मिलन होता है। जैन दर्शन मैं कौन हूं से मैं वह हूं यानि कौन हू की यात्रा हुई। यह संसार धन व माया सब झूठ है। क्योंकि वह साथ नहीं जाने वाला है। साथ जाएगी आपकी धर्म आराधना।
आचार्य अमित गति परमात्मा से प्रार्थना करते हैं कि हे प्रभो सुख जाए आए आधि- व्याधि शत्रु, मित्र, योग वियोग व भवन वन में रहूं। हर समय मेरे भीतर समता का प्रवाह प्रवाहित हो। यही सच्ची सामायिक है। भीतर भावनाएं तरंगित हो, समात भीतर आए तभी सामायिक होती है। जब जीवन में सामायिक होगी तो अपने में व्यवहार में सरलता प्रेम व करुणा झलकेगी। त्रस व स्थावर जीवों के प्रति मैत्री भाव आएगा। दर्शन सामायिक है भीतर का दृष्टा केवल मैं जानने वाला हो। बस उसी भाव में आपका रमण हो। ज्ञान व दर्शन को समझकर उसको आचरण में लाना ही चारित्र सामयिक है। उस समय राजन जैन, संजीव जैन व राजेश जैन भी मौजूद थे।
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