बारिश में बहा मेला
दो दिन से हो रही बारिश से मेला क्षेत्र में व्यवस्था अस्त व्यस्त हो गई है। कहीं टेंट उड़ गए हैं तो कहीं पंडालों के द्वार गिर गए हैं। कई स्थानों पर हादसे हुए हैं जिससे लोग घायल भी हो गए हैं। पानी के साथ चल रही तेज हवा से बिजली व्यवस्था भी पटरी से उतर गई है। बिजली न रहने श्रद्धालुओं और संतों का परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। हर तरफ कीचड़ का साम्राज्य कायम है। राह चलना भी दुश्वार हो गया है। सड़कें धंस गई हैं और पीपे पुल पर से गुजरना खतरे से खाली नहीं रह गया है। शनिवार को कई चार पहियावाहन भी कीचड़ में फंस गए जिसे निकालने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। बारिश से बचने के सारे इंतजाम नाकाफी साबित हुए हैं।
कुंभनगर। दो दिन से हो रही बारिश से मेला क्षेत्र में व्यवस्था अस्त व्यस्त हो गई है। कहीं टेंट उड़ गए हैं तो कहीं पंडालों के द्वार गिर गए हैं। कई स्थानों पर हादसे हुए हैं जिससे लोग घायल भी हो गए हैं। पानी के साथ चल रही तेज हवा से बिजली व्यवस्था भी पटरी से उतर गई है। बिजली न रहने श्रद्धालुओं और संतों का परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। हर तरफ कीचड़ का साम्राज्य कायम है। राह चलना भी दुश्वार हो गया है। सड़कें धंस गई हैं और पीपे पुल पर से गुजरना खतरे से खाली नहीं रह गया है। शनिवार को कई चार पहियावाहन भी कीचड़ में फंस गए जिसे निकालने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। बारिश से बचने के सारे इंतजाम नाकाफी साबित हुए हैं। गेट अस्पताल पर गिरा, तीन मरीज घायल
बारिश से मेला क्षेत्र में शनिवार को स्वास्थ्य की व्यवस्था पटरी से उतर गई। अस्पताल के अंदर लबालब पानी भर गया। कई जगह छत टपकने से अंदर भर्ती मरीजों को काफी दिक्कत हुई। चिकित्सक भी इलाज करने के बजाय ठंड से बचने के लिए इधर-उधर दुबके रहे। सेक्टर 11 का अस्पताल गिरने से वहां भर्ती मरीज घायल हो गए। आनन-फानन में उन्हें वहां से निकाल कर केंद्रीय अस्पताल में भर्ती कराया गया। मेला क्षेत्र के सेक्टर 11 स्थित स्वामी हंसदेवाचार्य के शिविर का विशाल गेट वहां बने अस्पताल के ऊपर गिर गया। गेट के साथ वहां खड़ा बिजली का पोल भी अस्पताल के टेंट के ऊपर गिर गया। इससे वहां भर्ती तीन मरीज घायल हो गए। इसमें एक दमा का रोगी था जबकि दो बुखार से पीडि़त थे। आनन-फानन में एंबुलेंस में लादकर उन्हें केंद्रीय अस्पताल पहुंचाया गया। सेक्टर तीन में बना अस्पताल पानी से भर गया। यहां मरीजों के अंदर जाने तक की व्यवस्था नहीं थी। जबकि टीन से पानी चूने के कारण अंदर रखे बेड भी खराब हो चुके थे।
सेक्टर सात में बना अस्पताल की व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त रही। यहां स्टोर रूम तक पानी भर गया, पानी को बाहर निकालने की कोई व्यवस्था नहीं थी। चुटहिल होकर पहुंचे नवनींद्र, रमेश पांडेय, बुखार से पीडि़त कोमल, मालती को बिना इलाज के ही वापस कर दिया गया। इससे उन्हें दिनभर इधर-उधर भटकना पड़ा। वहीं सेक्टर नौ, 10, 12, 13 व 14 के अस्पतालों की यही स्थिति रही। सेक्टर सात, नौ, दस के अस्पताल का गेट ही बंद रहा। यहां पहुंचने वाले संतों व श्रद्धालुओं को बिना इलाज के ही लौटना पड़ा। इसी प्रकार परेड स्थित सेंट्रल अस्पताल में भी इलाज की व्यवस्था ध्वस्त रही। छत टपकने के कारण मरीजों को काफी दिक्कत हुई।
बिजली के पोल पर गिरे गेट, आपूर्ति ठप
लगातार हो रही बारिश के बीच हवा चलने से मेला क्षेत्र की विद्युत व्यवस्था चरमरा गई। कई सेक्टर में संतों के गेट बिजली के पोल पर गिर गया। इससे पोल भी गिर गया और तार जगह-जगह से टूट गए। कर्मचारियों ने आनन-फानन में पोल को खड़ा कर टूटे तार को ठीक करके शाम पांच बजे के बाद आपूर्ति बहाल कर दिया। परंतु विद्युत आपूर्ति सिर्फ स्ट्रीट लाइट व कार्यालयों में ही दी गई। कल्पवासियों व संतों के शिविर की बारिश के कारण बिजली नहीं दी गई। अधिकारियों का कहना था कि यह फैसला बड़ी घटना से बचने के लिए किया गया। बारिश के कारण सेक्टर चार में जूना अखाड़ा का मुख्यद्वार बिजली के पोल में गिर गया, इससे तीन पोल गिरने के साथ तार भी टूट गया। इसी प्रकार सेक्टर सात, आठ, नौ, दस व 11 में दर्जनभर स्थानों में संतों के शिविर का द्वार बिजली के पोल पर गिर गया। इससे तार कई स्थानों पर टूट गया, सेक्टर 11 में स्वामी हंसदेवाचार्य का विशाल गेट तार के ऊपर गिरने से अधिक नुकसान हुआ। इससे उस क्षेत्र में विद्युत आपूर्ति बहाल करने में कुछ विलंब हुआ। जबकि अन्य सेक्टरों में मरम्मत करके स्ट्रीट लाइट जला दी गई। परंतु कल्पवासियों व संतों के शिविर में अंधेरा ही रहा। बिजली विभाग के कुंभ मेला प्रभारी अनिल वर्मा ने बताया कि बारिश के कारण करंट कहीं भी पकड़ सकता है इसलिए एहतियात के तौर पर सिर्फ स्ट्रीट लाइटें, अस्पताल, सरकारी, गैर कार्यालयों में आपूर्ति दी गई। मौसम सामान्य होने पर कल्पवासियों एवं संतों के शिविर में भी आपूर्ति बहाल कर दी जाएगी।
मौसम की रफ्तार
शुक्रवार की सुबह दस बजे: आसमान में घिरते हल्के बादल।
एक बजे: हल्की बूंदाबांदी शुरू।
दो बजे: रुक-रुक कर शुरू हुई बारिश। मेला क्षेत्र में अफरातफरी।
पांच बजे: पानी थमना शुरू हुआ, हल्की चहल-पहल।
आठ बजे: पड़ने लगी बारिश की मोटी-मोटी बूंदें।
दस बजे: बारिश के रुख में तेजी।
रात एक बजे: एक बार फिर तेज बारिश का क्रम जारी, शुरू हुआ टेंटों का एक-एक कर गिरना।
शनिवार भोर चार बजे: अखाड़ों से स्टेशन की ओर भागते साधु-संत।
दस बजे: तेज बारिश के साथ बादलों की गड़गड़ाहट और सेक्टर आठ, 9 और दस में कल्पवासियों का बुरा हाल।
11 बजे: कमिश्नर देवेश चतुर्वेदी सेक्टर 9 में भ्रमण पर।
एक बजे: मेला प्रशासन कार्यालय से अधिकारी नदारद, कल्पवासियों का जमावड़ा।
दो बजे: भारी बारिश, ट्रकों में सामान रखने में व्यस्त साधु-संत।
तीन बजे: तेज बारिश औरआकाशीय बिजली गिरने की घटनाएं।
छह बजे: मेला क्षेत्र में हाथ को हाथ सुझाई न देने वाला अंधकार।
साढ़े छह बजे: अचानक मेले की स्ट्रीट लाइट जगमगा उठीं।
रात दस बजे: मेला प्रशासन कैंप में मौसम से लड़ने की रणनीति बनाने में जुटे मंडलायुक्त देवेश चतुर्वेदी।
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