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सिद्धेश्वर महादेव सिद्ध करें हर काम

शिव शंकर भोलेनाथ की देशभर में विभिन्न नामों से पूजा-अर्चना की जाती है। वे अपने भक्तों द्वारा की गई थोड़ी सी भक्ति से ही प्रसन्न हो जाते हैं, इसलिए उनके भक्तों की चहुं ओर कोई कमी नहीं है।

By Edited By: Published: Mon, 21 May 2012 01:05 PM (IST)Updated: Mon, 21 May 2012 01:05 PM (IST)

शिव शंकर भोलेनाथ की देशभर में विभिन्न नामों से पूजा-अर्चना की जाती है। वे अपने भक्तों द्वारा की गई थोड़ी सी भक्ति से ही प्रसन्न हो जाते हैं, इसलिए उनके भक्तों की चहुं ओर कोई कमी नहीं है।

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पिपली-कुरुक्षेत्र सड़कमार्ग पर कुरुक्षेत्र में नए बस अड्डे के पास स्थित शिव मंदिर में शिव शंकर भोलेनाथ की सिद्धेश्वर महादेव के रूप में आराधना की जाती है। इस कारण इस मंदिर को श्रीसिद्धेश्वर महादेव मंदिर नाम से जाना जाता है। इस मंदिर का निर्माण हरियाणा परिवहन विभाग के कर्मचारियों ने अपनी नेक कमाई में से धन एकत्र करके वर्ष 1997 में करवाया था। सभी कर्मचारी हर रोज सुबह-सुबह इस शिव मंदिर में पहुंचकर आराधना करते हैं और सारे दिन के लिए सुख-शांति व मंगलमय यात्रा की कामना करते हैं और शाम को लौटने पर भी यहां आराधना करते हैं।

मंदिर के सभी कार्यो को सुचारू रूप से चलाने के लिए समिति का गठन करके पंजीकरण भी करवाया गया है। यह समिति मंदिर में होने वाले सभी कार्यो का निरीक्षण करती है। समिति द्वारा किए गए सराहनीय कार्यो के कारण ही यह मंदिर भव्य बनता जा रहा है। इसके मुख्य द्वार पर गुंबद के आगे लगभग 13 फुट ऊंची शिव प्रतिमा स्थापित की गई है। इस प्रतिमा ने मंदिर की शान में चार चांद लगाए हैं। मंदिर के अंदर शिवलिंग के अलावा राम दरबार, मां भगवती, राधाकृष्ण, मां संतोषी, मां सरस्वती, पवनपुत्र हनुमान और लक्ष्मी-नारायण की मूर्तियां स्थापित की गई हैं। इन सभी प्रतिमाओं की स्थापना विधि-विधान से पूजन करके की गई है। इस मंदिर में आसपास के क्षेत्रों से भी शिव भक्त पूजा-अर्चना करने आते हैं। यहां हर रोज आने वाले शिव भक्तों का मानना है कि सिद्धेश्वर महादेव उनकी हर मनोकामना पूरी करते हैं और सभी कार्यो को सहज ही सिद्ध करते हैं।

इस मंदिर में पिपली के अलावा देवीदासपुरा, रतगल व खेड़ी मारकंडा के निवासी भी पूजा-अर्चना करने आते हैं। शिवरात्रि एवं सोमवार के दिन यहां शिव भक्तों की अपार भीड़ उमड़ती है। इस दिन यहां भजन-कीर्तन भी किया जाता है। यहां सभी त्योहार हर्षोल्लास से मनाए जाते हैं।

यहां शिवरात्रि के अवसर पर कांवडि़यों के लिए विश्राम शिविर लगाया जाता है। कांवडि़यों को सभी सुविधाएं मुहैया करवाई जाती हैं और भंडारे का आयोजन होता है। यहां रामनवमी के अवसर पर रामचरित मानस का अखंड पाठ किया जाता है और रामजन्म पर भोग लगाकर भंडारा लगाया जाता है। इसके अलावा यहां पूर्णमासी के दिन भगवान सत्यनारायण की कथा की जाती है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन यहां झांकियां निकाली जाती हैं। इन झांकियों को इस कद्र सजाया जाता है कि देखने वाला अपलक देखता रहता है।

दीपावली के दिन मंदिर को खूब सजाया जाता है। इस दिन मंदिर परिसर दर्शनीय बन जाता है। निर्जला एकादशी के दिन यहां विशेष रूप से प्याऊ का प्रबंध किया जाता है। गोवर्धन पूजा के अवसर पर यहां अटूट लंगर लगाया जाता है।

मंदिर के पुजारी रमन शर्मा लगभग 14 साल से इस मंदिर में सेवा-संभाल करते आ रहे हैं। वे हर रोज विधि-विधान से पूजा-अर्चना करते हैं। श्रद्धालु पूजा-अर्चना में उनका सहयोग करते हैं। धीरे-धीरे इस मंदिर की प्रसिद्धि बढ़ी है।

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