विश्वास के स्तंभ पर आस्था का आरोहण
दूनघाटी का ऐतिहासिक झंडा मेला रविवार को झंडे जी के आरोहण के साथ आरंभ हुआ। उत्तराखंड, यूपी, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल आदि स्थानों से पहुंची लाखों संगतों की मौजूदगी में शाम ठीक चार बजकर दो मिनट पर सज्जादानसीन महंत देवेंद्र दास महाराज ने जैसे ही झंडे जी का आरोहण किया, श्री गुरु रामराय महाराज का दरबार जयकारों से गुंजायमान हो उठा।
देहरादून। दूनघाटी का ऐतिहासिक झंडा मेला रविवार को झंडे जी के आरोहण के साथ आरंभ हुआ। उत्तराखंड, यूपी, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल आदि स्थानों से पहुंची लाखों संगतों की मौजूदगी में शाम ठीक चार बजकर दो मिनट पर सज्जादानसीन महंत देवेंद्र दास महाराज ने जैसे ही झंडे जी का आरोहण किया, श्री गुरु रामराय महाराज का दरबार जयकारों से गुंजायमान हो उठा।
सीएम ने दी झंडा मेला की शुभकामनाएं-
मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने श्री गुरु रामराय महाराज के ऐतिहासिक आगमन दिवस पर लगने वाले झंडा मेला में बाहर से आई सभी संगतों एवं नागरिकों को शुभकामनाएं दी हैं। अपने संदेश में उन्होंने कहा कि झंडा मेला सूबे का प्रमुख धार्मिक अनुष्ठान है, जिसमें विभिन्न धर्म-संप्रदायों के लोग शामिल होकर श्रेष्ठ परंपरा का निर्वहन करते हैं। हमारी कोशिश यही होनी चाहिए कि इस प्रकार के आयोजनों में भागीदारी कर अपनी परंपरा को समृद्ध बनाएं।
पंजाब की संगत का चढ़ावा आज -
झंडा मेले में सोमवार चैत्र षष्ठी को पंजाब की संगत द्वारा परंपरागत तरीके से चढ़ावा पेश किया जाएगा। इस दौरान लगभग हजारों श्रद्धालुओं के मौजूद रहने की संभावना है। दरबार साहिब के श्रीमहंत देवेंद्रदास महाराज सेवकों को आशीर्वाद देंगे। यह कार्यक्रम दिनभर चलेगा। इसके साथ ही झंडा मेला का भी विधिवत शुभारंभ हो गया है। इसमें शिरकत करने के बाद बाहर से आई संगत लौटना शुरू हो जाएंगी।
हादसा होते-होते टला-
झंडे जी के आरोहण के लिए जैसे ही श्रीमहंत देवेंद्रदास महाराज संगतों के बीच पहुंचे, आशीर्वाद लेने को आस्था का हुजूम उनकी तरफ उमड़ पड़ा। इस दौरान दरबार साहिब परिसर में पांव रखने तक को जगह नहीं थी। नतीजा संगतें एक-दूसरे को धकियाते हुए आगे बढ़ने लगी। नतीजा दो महिलाएं व एक बच्चा वहीं गिर पड़े और भीड़ उनके ऊपर से गुजरने लगी। वह तो संयोग था कि स्वयंसेवकों की नजर महिलाओं पर पड़ गई, अन्यथा आस्था का यह उत्सव कलंकित हो सकता था। जैसे-तैसे भीड़ के बीच से महिलाओं व बच्चे को बाहर निकाला गया, तब जाकर राहत की सांस ली।
30 साल बाद मिला सौभाग्य-
इस बार झंडे जी पर मखमली दर्शनी गिलाफ चढ़ाने का सौभाग्य मोहाली (पंजाब) निवासी गज्जन सिंह के पुत्र नरेंद्र सिंह को मिला। गज्जन सिंह ने 30 साल पहले वर्ष 1983 में दर्शनी गिलाफ के लिए अर्जी लगाई थी, लेकिन कुछ वर्ष पूर्व उनकी मृत्यु हो गई। इसलिए उनके पुत्र नरेंद्र सिंह ने झंडे जी को दर्शनी गिलाफ चढ़ाया। नरेंद्र के साथ उनके भाई राजेंद्र सिंह, बेटा जसकिरन समेत अन्य परिजन इस ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बनने दरबार साहिब पहुंचे थे।
शुरू हुई नई परंपरा-
इस बार दरबार साहिब में एक नई परंपरा का शुभारंभ हुआ। झंडे जी के आरोहण के बाद श्रीमहंत देवेंद्रदास महाराज ने दरबार साहिब के परकोटे से संगतों को आशीर्वाद दिए। करीब दस मिनट वहां रहने के बाद श्रीमहंत ने गद्दी की तरफ प्रस्थान किया।
एक घंटा पहले हुआ आरोहण-
यह पहला मौका है, जब झंडे जी का आरोहण करीब एक घंटे पहले हो गया। अब तक झंडा आरोहण होते-होते शाम के पांच बज जाया करते थे, लेकिन इस बार ठीक 4.02 बजे आस्था का यह परचम लहरा उठा। श्रीमहंत देवेंद्रदास ने बताया कि संगतों की सुविधा के लिए इस बार झंडे जी को उतारने और चढ़ाने की प्रक्रिया में तेजी लाई गई।
विदेशों से खींच लाई आस्था-
झंडा मेले में शामिल होने के लिए पंजाब, हरियाणा, यूपी, हिमाचल, राजस्थान, दिल्ली व उत्तराखंड के विभिन्न जनपदों समेत देश के कोने-कोने से संगत पहुंची है। दरबार साहिब के समन्वयक विष्णु नौटियाल के अनुसार कनाडा, अमेरिका, इंग्लैंड, इटली, जर्मनी, फ्रांस और दुबई से भी विशेष रूप से संगत मेले में भागीदारी करने के लिए पहुंची है।
84 साल बाद के लिए बुकिंग-
दरबार साहिब में 2032 तक के लिए शनील के गिलाफों की बुकिंग हो चुकी है। इस साल 2033 के लिए बुकिंग की जा रही है। जबकि, दर्शनी गिलाफ की बुकिंग 2096 तक के लिए हो चुकी है। इस साल बुकिंग कराने वाले का नंबर अब 84 साल बाद आएगा।
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