मथुरा: उड़त गुलाल वासंती भयो आंगन
भक्त की मनुहार पर प्रकट बांके बिहारी का आंगन वसंत के दिन गुलाल- अबीर के रंग में रंग गया। प्रभु बाहर तो नहीं आये, लेकिन पीत वस्त्रों में सज- संवर कर उन्होंने प्रिया संग भरपूर आनंद बरसाया। सेवायत भी पीछे नहीं रहे और सबने जमकर पीला, लाल, गुलाबी रंगत बिखेरी। प्रेम- प्रीति के पर्व पर देश- विदेश के श्रद्धालुओं ने भी आकर आनंद रस का जीभर के आचमन किया।
मथुरा,वृंदावन। भक्त की मनुहार पर प्रकट बांके बिहारी का आंगन वसंत के दिन गुलाल- अबीर के रंग में रंग गया। प्रभु बाहर तो नहीं आये, लेकिन पीत वस्त्रों में सज- संवर कर उन्होंने प्रिया संग भरपूर आनंद बरसाया। सेवायत भी पीछे नहीं रहे और सबने जमकर पीला, लाल, गुलाबी रंगत बिखेरी। प्रेम- प्रीति के पर्व पर देश- विदेश के श्रद्धालुओं ने भी आकर आनंद रस का जीभर के आचमन किया। इसके साथ ही ब्रज में होली पर्व की शुरुआत हो गयी। होली खेलने का दौर 40 दिन तक चलेगा। होली पर्व का आगाज वसंत पर डांड़ा गडऩे के साथ होता है। ब्रजवासी बांके बिहारी तथा अपने- अपने आराध्य के साथ होली खेलकर पर्व की शुरुआत करना शुभ मानते हैं। इस परंपरा को आगे बढ़ाने के लिये भगवान और भक्त एक बार फिर वसंतोत्सव पर एक साथ हो लिये। विश्व प्रसिद्ध मंदिर में एक देह दो रूप विराजमान बांके बिहारी प्रिया संग मोहक श्रंगार में सजे। मंदिर सेवक गोस्वामी समाज ने भगवान और भक्तों के बीच प्रीति भरे सेतु का काम करते हुये गुलाल- अबीर, सूखे रंग उड़ाये। सुबह एवं दोपहर में आरती के बाद हुये इस उत्सव का दीदार करने और रस का पान करने के लिये हजारों महिला- पुरुष आंगन में भर गये। उत्सव का आनंद चर्म पर पहुंचाने में श्रद्धालुओं ने भी भरपूर भागीदारी की। उन्होंने एक ओर भगवान को पीले रंगों की माला और भोग लगाया तो दूसरी तरफ एक दूसरे को रंग- गुलाल लगाया। प्रभु दरबार से चला यह दौर मंदिर को जाने वाले हरेक रास्ते पर दिखाई दिया।
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