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भोले के दरबार में आशा लेकर पहुंच रहे लाचार

श्रावण मास की नीलकंठ यात्रा को लेकर श्रद्धालुओं का उत्साह बढ़ता ही जा रहा है। शरीर से लाचार लोग भी भोले के दरबार में बड़ी आशा लेकर पहुंच रहे है। मंगलवार की देर रात तक 90 हजार से अधिक श्रद्धालु नीलकंठ महादेव मंदिर में जलाभिषेक कर चुके थे।

By Edited By: Published: Wed, 11 Jul 2012 03:20 PM (IST)Updated: Wed, 11 Jul 2012 03:20 PM (IST)
भोले के दरबार में आशा लेकर पहुंच रहे लाचार

ऋषिकेश। श्रावण मास की नीलकंठ यात्रा को लेकर श्रद्धालुओं का उत्साह बढ़ता ही जा रहा है। शरीर से लाचार लोग भी भोले के दरबार में बड़ी आशा लेकर पहुंच रहे है। मंगलवार की देर रात तक 90 हजार से अधिक श्रद्धालु नीलकंठ महादेव मंदिर में जलाभिषेक कर चुके थे।

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लाखों लोगों की आस्था और विश्वास से जुड़ी नीलकंठ महादेव की कांवड यात्रा पूरे शबाब पर है। जनपद देहरादून, टिहरी व पौड़ी से जुड़े मेला क्षेत्र कांवडियों की आमद से गुलजार है। आइडीपीएल स्थित पार्किंग हो या ढालवाला स्थित पार्किंग सभी बडे़ वाहनों से भरे पड़े हैं। उमस के बीच नीलकंठ मार्ग पर जाते कांवडियों का जोश देखते बनता है। कांवडि़यों की इस भीड़ में कोई श्रद्धालु डंडे के सहारे चल रहा है, तो कोई बैशाखी के। विकलांग भाई की कामना पूर्ण करने के लिए छोटा भाई पैदल मार्ग पर बड़े भाई को पीठ पर यात्रा कराते नजर आता है। इस यात्रा में कांवडि़ये अलग-अलग रूप में नजर आ रहे हैं। हरियाणा से कोई रिक्शे में इंजन लगाकर यात्रा पर आया है तो कोई वृद्ध दंपत्ति एक दूसरे को खो जाने के डर से रस्से से बांधकर आया है। आस्था के यह रूप इस रूप में तो देखने को मिल ही रहे है। एक योगी ऐसे है जो इस वर्ष भी पैदल मार्ग पर कांटों के आसन पर बैठकर साधना कर रहे है। हर तरफ बम-बम भोले का जयघोष गूंज रहा है। नीलकंठ महादेव मंदिर में सोमवार को सवा लाख से अधिक लोगों ने जलाभिषेक किया। मंगलवार को देर रात तक यह आंकड़ा 90 हजार को पार कर गया था।

भारी न पड़ जाए यह शॉर्टकट-

नीलकंठ पैदल मार्ग पर बीते रोज पेड़ गिरने से एक कांवडि़ए की मौत हो चुकी है। हालत यह है कि कांवडि़ए खुद ही दुर्घटनाओं को आमंत्रण दे रहे हैं। स्वर्गाश्रम से नीलकंठ तक पैदल मार्ग की व्यवस्था है, लेकिन पैदल मार्ग से लगी पहाडि़यों के जरिये कांवडि़ए शार्टकट तलाश रहे है। यह शार्टकट भी ऐसा है जो पहाड़ी मार्ग है और जल बहाव के कारण इस पर लगे पेड़ों की जड़ें मिट्टी छोड़ चुकी है। पूरे समय किसी भी तरह से इस शार्टकट के जरिए कांवडि़यों की आमद व रवानगी जारी है। जबकि यह क्षेत्र मानवीय प्रवेश के लिए वर्जित है, लेकिन हादसे को खुद बुलावा देने वाले ऐसे लोगों को रोकने वाला फिल्हाल कोई नजर नहीं आता है।

दो को बहने से बचाया-

लक्ष्मणझूला पुलिस ने गंगा में नाह रहे दो लोगों को बहने से बचाया। मंगलवार की सुबह लक्ष्मणझूला नाव घाट पर स्नान कर रहा एक कांवडिया सुनील 21 वर्ष निवासी गाजियाबाद तेज बहाव की चपेट में आकर बहने लगा, लेकिन समीप ही मौजूद जल पुलिस के गोताखोर भवानंद ने उसे देख लिया और तुरंत नदी में कूदकर उसे बचा लिया। वहीं देर शाम पांच बजे इसी घाट पर स्नान कर रही एक 14 वर्षीय बालिका संध्या को भी जल पुलिस ने बचा लिया।

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