गूंजने वाले हैं बाबा बर्फानी के जयकारे
प्रत्येक वर्ष अमरनाथ यात्रा में लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं। वर्ष 2011 में ही 6 लाख 35 हजार यात्रियों ने इस दुर्गम यात्रा को कर पवित्र हिमलिंग के दर्शन किए।
चलो बुलावा आया है, भोले ने बुलाया है-
प्रत्येक वर्ष अमरनाथ यात्रा में लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं। वर्ष 2011 में ही 6 लाख 35 हजार यात्रियों ने इस दुर्गम यात्रा को कर पवित्र हिमलिंग के दर्शन किए। चूंकि यात्रा मार्ग दुर्गम और दुष्कर है और पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण संसाधन सीमित हैं। इसलिए यात्रियों की सुविधा व सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा गठित श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड यात्रा से पूर्व तीर्थयात्रियों का पंजीकरण करवा कर उन्हें यात्रा परमिट जारी करता है। इस परमिट में यात्रियों को निर्देशित मार्ग से व तिथि पर यात्रा मार्ग पर आगे बढऩे की अनुमति दी जाती है। बिना परमिट वाले यात्रियों को चंदनबाड़ी व बालटाल स्थित प्रवेश द्वारों से आगे नहीं बढऩे दिया जाता है। एक बार में एक जत्थे में अधिकतम पांच यात्रियों का ही पंजीकरण किया जाता है। प्रति यात्री पंजीकरण शुल्क 15 रुपये है।
यात्रियों का पंजीकरण देशभर में जम्मू-कश्मीर बैंक की 121 शाखाओं या येस बैंक की 49 शाखाओं में किया जाता है। इस वर्ष से देश के विभिन्न राज्यों में स्थित सौ डाकघरों में भी यात्रियों का पंजीकरण शुरू कर दिया गया है। इस साल बैंकों में 7 मई से और डाकघरों में 15 मई से यात्रियों का पंजीकरण किया जा रहा है।
यात्रा पर जाने के लिए पंजीकरण करवाने के इच्छुक लोगों को निर्धारित प्रपत्र भर आवेदन भरने के साथ-साथ किसी रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर से पूर्ण रूप से स्वस्थ होने का चिकित्सा प्रमाण पत्र भी देना होगा। इन दोनों प्रपत्रों के नमूने श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड की वेबसाइट से डाउनलोड किए जा सकते हैं।
तैयारी यात्रा की- पंजीकरण होने व यात्रा परमिट जारी होने पर यात्रा की तैयारियां शुरू कर दी जानी चाहिए। यह इलाका अत्यधिक ऊंचाई वाला है और यात्रा बारिश के मौसम में होती है। इसलिए कभी भी बारिश पडऩे व हिमपात होने की आशंका बनी रहती है। कई पार तापमान शून्य से नीचे भी चला जाता है।
-यात्रियों को कड़ी सर्दी व बारिश से बचने के लिए गर्म ऊनी कपड़े व रेन कोट, दस्ताने, गर्म जूते व जुराब आदि साथ रख लेने चाहिए।
-चढ़ाई में मदद के लिए छड़ी अवश्य साथ रखें।
-यद्यपि यात्रा मार्ग पर स्थान-स्थान पर चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध हैं, फिर भी सावधानी बरतते हुए साधारण खांसी, जुकाम, सर्दी आदि की दवाइयां साथ रख लेनी चाहिए।
-हालांकि यात्रा मार्ग पर स्थान-स्थान पर लंगर, भंडारे आदि लगे होते हैं, फिर भी पानी की एक बोतल, कुछ भुने हुए चने तथा बिस्किट्स वगैरह भी साथ रख लें।
-महिला तीर्थयात्री साड़ी पहनकर यात्रा पर न निकलें। यह लिबास यात्रा की दुर्गमता व यहां के तापमान के लिहाज से उचित नहीं है। इसके बजाय सलवार-कुर्ता आदि पहनें। पुरुष व महिला दोनों के लिए ही गर्म ट्रैक सूट सर्वोत्तम लिबास होगा।
-यात्रियों को अपनी जेब में अपना नाम-पता लिखी स्लिप या अपनी पहचान का कोई दस्तावेज अवश्य रखना चाहिए।
-ध्यान रखें बहुत जरूरी सामान लेकर ही यात्रा करें। ज्यादा भारी-भरकम बोझ लेकर इस दुर्गम चढ़ाई वाले मार्ग पर यात्रा करना संभव नहीं होगा।
क्या करें..
-यात्री यदि यात्रा आरंभ करने से दो माह पूर्व नियमित रूप से सैर, व्यायाम, योग व प्राणायाम की आदत विकसित कर लें तो इससे उन्हें यात्रा की कठिन चढ़ाई को चढऩे में मदद मिलेगी।
-यात्रा धीरे-धीरे व एक समान गति वाली चाल में पूरी करें। यदि शुरू में ही आपने तेज चलने की कोशिश की तो आप बहुत जल्दी थक जाएंगे और फिर आगे की यात्रा संभव नहीं हो पाएगी।
-यात्रा मार्ग पर ऊं नम: शिवाय का जाप करते हुए चलें। इससे आपको आत्मबल व निरंतर आगे बढऩे की शक्ति मिलेगी।
-अन्य सहयात्रियों से अच्छा व्यवहार करें।
- यात्रा प्रशासन के निर्देशों का पालन करें। क्या न करें..
-मार्ग की दुरुहता व दुर्गमता को देखते हुए बच्चों व अत्यधिक वृद्धों को यात्रा पर न ले जाएं।
-यात्रा मार्ग पर शार्ट कट रास्ते न लें। यह जोखिम भरा हो सकता है।
-मार्ग में जहां यात्रा प्रशासन ने चेतावनी वाले बोर्ड लगाएं हैं, वहां न रुकें। ये स्थान हिमस्खलन व भूस्खलन की दृष्टि से संवेदनशील हैं और यहां रुकना खतरनाक हो सकता है।
-तीर्थस्थल की पवित्रता का ध्यान रखते हुए यात्रा मार्ग पर मादक पदाथरें का सेवन न करें।
-यात्रा करते समय भारी, चिकनाई युक्त व गरिष्ठ भोज्य पदाथरें को लेने से बचें। इससे यात्रा करना कठिन हो सकता है।
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