गूंजने वाले हैं बाबा बर्फानी के जयकारे
तीर्थ ही नहीं, प्रकृति का सौंदर्य भी श्री अमरनाथ की समूची यात्रा तीर्थयात्रा तो है ही। इसके अलावा इस पूरे यात्रा मार्ग पर प्रकृति का भरपूर सौंदर्य बिखरा पड़ा है।
तीर्थ ही नहीं, प्रकृति का सौंदर्य भी
श्री अमरनाथ की समूची यात्रा तीर्थयात्रा तो है ही। इसके अलावा इस पूरे यात्रा मार्ग पर प्रकृति का भरपूर सौंदर्य बिखरा पड़ा है। यूं प्रतीत होता है कि प्रकृति ने अपनी सौंदर्य रूपी झोली खोलकर इस मार्ग पर खाली कर दी हो। पूरे मार्ग पर झरने-झीलें, चांदी सी बिखरी बर्फ तीर्थयात्रियों को तीर्थ के साथ-साथ पर्यटन का भी अहसास करवाती है।
पहलगाम- यदि हम पहलगाम मार्ग से यात्रा शुरू करें तो अनंतनाग जिले में स्थित पहलगाम स्वयं ही खूबसूरती का खजाना है। श्रीनगर से 96 किमी दूर 8989 फीट की ऊंचाई पर बसे इस स्थान से लिद्दर व अरु नदियां गुजरती हैं। एक जमाने में पहलगाम फिल्मों का प्रसिद्ध शूटिंग स्थल होता था और कई पुरानी लोकप्रिय फिल्मों की शूटिंग यहां की गई हैं। जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के सिर उठाने के बाद यहां शूटिंग में तो कमी आई है, पर प्राकृतिक सुंदरता ज्यों की त्यों है। दवदार के घने जंगल बरबस यात्रियों का ध्यान अपनी ओर खींचते हैं। यहां सुंदर होटल व रिजार्ट हैं,जो वाजिब दामों पर यात्रियों को रिहायश व भोजन सुविधा मुहैया करवाते हैं। अमरनाथ यात्रा से लौट रहे यात्री चाहें तो यहां रुक कर एक-दो दिन प्राकृतिक नजारों का भरपूर आनंद उठा सकते हैं।
चंदनबाड़ी- यात्री पहलगाम से 16 किमी का सफर तय कर चंदनबाड़ी पहुंचा जाता है। लिद्दर नदी के किनारे-किनारे इसका रास्ता अत्यंत मनमोहक है।
पिस्सू टॉप- चंदनबाड़ी से तीन किमी का पैदल सफर तय कर अमरनाथ यात्रा मार्ग पर पहला पड़ाव पिस्सू टॉप आता है। ऐसा कहा जाता है कि भोलेनाथ के पहले दर्शन यहीं से होते हैं। ऐसी पौराणिक कथा है कि इस स्थान पर देवताओं व राक्षसों के मध्य भयंकर युद्ध हुआ। देवताओं ने भगवान शिव की सहायता से राक्षसों को परास्त कर दिया और राक्षसों के शवों के अंबार से ही यहां पर ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों का निर्माण हुआ।
शेषनाग-: पिस्सू टॉप से आगे बढऩे पर शेषनाग है। ऐसी मान्यता है कि यहां स्थित सात पहाडिय़ां शेषनाग के सात फन हैं। यहां गहरे नीले पानी की एक विशाल झील है। इस झील में स्नान कर यूं प्रतीत होता है कि एक नए जीवन का अवतरण हो गया है।
पंजतरणी-शेषनाग से आगे बढ़कर अमरनाथ यात्रा का अहम पड़ाव पंजतरणी है। यहां बहने वाली पांच नदियों के बारे में मान्यता है कि ये भगवान शिव की जटाओं से निकली हैं। 12 हजार फीट की ऊंचाई पर बसे पंजतरणी में खूबसूरत चरागाह हैं और यहां अनुपम सौंदर्य बिखरा पड़ा है। जारी है..
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