तिरूपति बालाजी की दिखे शान
कुरुक्षेत्र में नए बस अड्डे के सामने स्थित तिरूपति बालाजी मंदिर की शान आंध्रप्रदेश के तिरूमला में स्थित तिरूपति मंदिर की ख्याति की भांति बढ़ती जा रही है। यहां तिरूपति बालाजी की भव्य प्रतिमा स्थापित की गई है। तिरूपति बालाजी की इस प्रतिमा के दर्शन के लिए यहां दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं। इस प्रतिमा को मालाओं व गहनों से सजाया गया है।
यह सर्वविदित है कि तिरूपति बालाजी का मंदिर भारत के दक्षिण में आंध्रप्रदेश के तिरूमला में है। वहां हर रोज समस्त विश्व के विभिन्न भागों से असंख्य श्रद्धालु दर्शनार्थ पहुंचते हैं। जिस प्रकार श्रद्धालुओं की विश्व विख्यात तिरूपति बालाजी मंदिर के प्रति अगाध आस्था है उसी प्रकार हरियाणा में स्थित तिरूपति बालाजी मंदिर के प्रति भी श्रद्धालुओं का अटूट विश्वास है। कुरुक्षेत्र की पावन धरा पर स्थित इस मंदिर की स्थापना श्रद्धालुओं के सहयोग से तिरूपति बालाजी के भक्त बाबा सीताराम ने की थी। यह मंदिर सरस्वती के तट पर खेड़ी मारकंडा में कुरुक्षेत्र के नए बस अड्डे के सामने लगभग दो किमी. दूर स्थित है। इसमें तिरूपति बालाजी के अलावा राम दरबार, महाकाली, पवनपुत्र हनुमान, गणपति और नव ग्रहों की मूर्तियां स्थापित की गई हैं।
इस मंदिर की स्थापना श्रीश्री 1008 महंत नृत्य गोपालदास महाराज की अध्यक्षता में हर्षोल्लास से की गई। दक्षिण भारत से आए उच्चकोटि के विद्वानों ने विधि-विधान से मूर्तियों की प्राण-प्रतिष्ठा की। इस अवसर पर असंख्य श्रद्धालुओं ने शिरकत की। इस दौरान हवन का आयोजन भी किया गया जिसमें पहुंचकर श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। अब मंदिर का वार्षिक उत्सव धूमधाम से मनाया जाता है जिसमें प्रसिद्ध कथावाचक श्रीमद्भागवत कथा का वाचन करते हैं। इसके बाद भजन संध्या का आयोजन किया जाता है जिसमें भजन गायक मनमोहक भजन गाकर समां बांध देते हैं। इस अवसर पर भजनों को सुनकर श्रद्धालु खुशी से झूम उठते हैं। इसके बाद कथा का भोग डाला जाता है तथा भंडारे का आयोजन किया जाता है जिसमें शहर के गणमान्य व्यक्ति भाग लेते हैं।
आंध्रप्रदेश के प्राचीन तिरूपति मंदिर के बारे में कई कथाएं प्रचलित हैं। धर्मग्रंथों में यह वर्णित है कि एक बार सृष्टि के पालक विष्णु ने गरीबों में खूब अन्न का दान किया और उसके बाद विश्राम के लिए बैठ गए तो वही स्थान तिरूपति बालाजी का देव स्थान बन गया। दूसरी कथा के अनुसार एक बार लक्ष्मी किसी कारणवश भगवान विष्णु को छोड़कर चली गई तो भगवान विष्णु एक विशेष रूप धारण करके विराजमान हो गए और कहा कि इस स्थान पर लक्ष्मी की अपार कृपा बनी रहेगी। सभी ऋषि-मुनियों ने भी देवी लक्ष्मी की उपासना करके सिद्धि प्राप्त की। यही कारण माना जाता है कि तिरूपति बालाजी के मंदिर में अथाह सम्पत्ति है। यहां हर रोज अपार चढ़ावा आता है और जिस भी श्रद्धालु की मनोकामना पूर्ण होती है वह यहां आकर मुंडन करवाता है तथा भगवान की पूजा-अर्चना करता है। प्रसिद्ध कवि तुलसीदास ने स्वयं रचित रामायण में वर्णित किया है कि हरि अनंत हरि कथा अनंता अर्थात् हरि की महिमा अपरंपार है, उसकी कथाएं अनंत हैं तथा कोई भी उनसे पार नहीं पा सका है। विभिन्न धर्मग्रंथों में हरि को बिना अंत होने वाला कहा गया है। कुरुक्षेत्र के तिरूपति मंदिर में विराजमान भगवान के प्रति भी यही आस्था है।
कुरुक्षेत्र में स्थित तिरूपति बालाजी मंदिर में हर मंगलवार को सुंदर कांड का पाठ किया जाता है और शनिवार के दिन महिलाएं संकीर्तन करती हैं। जिस भी श्रद्धालु की मनोकामना पूर्ण होती है वह यहां आकर सेवा करता है। श्रद्धालु यहां समय-समय पर कमरों का निर्माण करवाते हैं। कमरों में दूर-दराज से आने वाले श्रद्धालुओं के ठहरने का प्रबंध किया गया है। बाबा सीताराम इस मंदिर में सेवा-संभाल करते हैं। उनके मृदुल स्वभाव के कारण नगर के काफी लोग मंदिर के साथ जुड़ गए हैं।
मंदिर में विद्वान पंडितों को रखा गया है जो विधि-विधान से मंदिर में पूजा-अर्चना करते हैं। मंदिर के आसपास के निवासी धार्मिक अनुष्ठानों में खूब सहयोग करते हैं। यहां सभी धार्मिक उत्सव बड़े हर्षोल्लास से मनाए जाते हैं। कुरुक्षेत्र में बने इस दर्शनीय मंदिर की भव्यता देखते ही बनती है। इस मंदिर का भवन दूर से ही आकर्षक दिखता है। कुरुक्षेत्र में बने अन्य दर्शनीय धार्मिक स्थलों की भांति इस मंदिर का भी विशेष महत्व है। कुरुक्षेत्र में आने वाले पर्यटक इस मंदिर में भी आते हैं। तिरूपति बालाजी के इस मंदिर की शान दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है।
मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर