मंगल के मिलन से हुआ अमंगल
ाघ मास की अमावस्या तिथि और 33 करोड़ देवताओं की मौजूदगी में हादसा। पुण्य नगरी तीर्थराज प्रयाग में हुई इस घटना से आम जनमानस के साथ ज्योतिषी भी न सिर्फ मर्माहत हैं बल्कि उन्हें अपनी पोथियां पलटने पर भी मजबूर होना पड़ा। शनिवार को पड़ी अमावस को लेकर कुछ विद्वानों ने दुश्चिंता जताई जरूर थी, लेकिन इतनी बड़ी घटना होगी, इसका अनुमान वे न कर सके।
कुंभनगर। माघ मास की अमावस्या तिथि और 33 करोड़ देवताओं की मौजूदगी में हादसा। पुण्य नगरी तीर्थराज प्रयाग में हुई इस घटना से आम जनमानस के साथ ज्योतिषी भी न सिर्फ मर्माहत हैं बल्कि उन्हें अपनी पोथियां पलटने पर भी मजबूर होना पड़ा। शनिवार को पड़ी अमावस को लेकर कुछ विद्वानों ने दुश्चिंता जताई जरूर थी, लेकिन इतनी बड़ी घटना होगी, इसका अनुमान वे न कर सके। जंक्शन पर हुई हृदयविदारक घटना को पं. देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी अमावस्या तिथि से नहीं जोड़ते। वह कहते हैं कि अमावस्या तिथि तो दोपहर सवा 12 बजे तक ही थी। इसके बाद प्रतिप्रदा तिथि लग गई जो यम (यमराज) की सहभागिनी मानी जाती है, साथ ही परीवा व पंचक योग का लगना भी किसी तीर्थ से वापसी के लिए शुभ नहीं होता। यही कारण है कि दुर्घटना वापसी के समय हुई। इसके साथ ही वह कहते हैं कि तीर्थराज प्रयाग में पुण्य आत्माएं आती हैं, संगम स्नान के बाद जिन्होंने शरीर त्यागा है उन्हें निश्चित ही स्वर्ग की प्राप्ति होगी। साथ ही बताया कि शुक्त्रवार की सुबह 5.53 बजे से आश्िर्र्वन नक्षत्र लगने से स्थिति में बदलाव आएगा। वहीं आचार्य अविनाश राय बताते हैं कि शाम 4.59 बजे चंद्रमा ने मकर को छोड़कर कुंभ राशि में प्रवेश किया, जहां पहले से मंगल व बुध संचार कर रहे थे। मंगल युद्ध का कारक होता है, जो आकस्मिक दुर्घटनाओं व आपदाओं को जन्म देता है। जबकि चंद्रमा जिसके प्रभाव में आता है उसी के अनुरूप कार्य करने लगता है। चंद्रमा का मंगल से मिलन ही दुर्घटना का कारण बना।
सबसे बड़ी बात यह है कि मिलन से पहले ही इन ग्रहों ने अपने अनुकूल (दुर्घटना युक्त) वातावरण तैयार करना शुरू कर दिया। इसके अलावा सूर्य, चंद्रमा व वृहस्पति का एक साथ संयोग बनना भी ठीक नहीं था। यह स्थिति वृष व तुला राशि वाले लोगों के लिए हानिकारक होती है।
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