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यमुना बचाओ आंदोलन को थामने में केंद्र नाकाम

यमुना बचाओ के आंदोलनकारियों के दिल्ली कूच ने केंद्र सरकार की चिंताएं बढ़ा दी हैं। यमुना को बदहाली से बचाने के लिए सड़कों पर उतरे हजारों पदयात्रियों के काफिले ने सोमवार को हरियाणा की सीमा में प्रवेश किया तो केंद्र सरकार ने संबंधित राज्य सरकारों से सलाह-मशविरा शुरू कर दिया।

By Edited By: Published: Tue, 05 Mar 2013 03:40 PM (IST)Updated: Tue, 05 Mar 2013 03:40 PM (IST)
यमुना बचाओ आंदोलन को थामने में केंद्र नाकाम

नई दिल्ली। यमुना बचाओ के आंदोलनकारियों के दिल्ली कूच ने केंद्र सरकार की चिंताएं बढ़ा दी हैं। यमुना को बदहाली से बचाने के लिए सड़कों पर उतरे हजारों पदयात्रियों के काफिले ने सोमवार को हरियाणा की सीमा में प्रवेश किया तो केंद्र सरकार ने संबंधित राज्य सरकारों से सलाह-मशविरा शुरू कर दिया। लेकिन हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और दिल्ली के जल संसाधन सचिवों की लंबी वार्ता में कोई हल नहीं निकला। बैठक मंगलवार को भी जारी रहेगी।

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बैठक के दौरान केंद्रीय जल संसाधन मंत्री हरीश रावत भी उपस्थित रहे।

रावत ने दिल्ली सरकार से यमुना की सफाई को लेकर चल रहीं सभी परियोजनाओं में कार्यवाही में तेजी लाने को कहा है।

साथ ही नजफगढ़ नाले का गंदा पानी तत्काल रोकने और सभी गंदे नालों का पानी साफ करने के बाद ही यमुना में छोड़ने के निर्देश दिए। सूत्रों के मुताबिक बैठक में दिल्ली और हरियाणा के अफसरों के बीच आरोप प्रत्यारोप ही लगते रहे। वार्ता के केंद्र में हरियाणा का हथिनीकुंड बैराज छाया रहा।

उधर, हथिनीकुंड से पानी यमुना में छोड़ने की मांग को लेकर उत्तर प्रदेश की मथुरा नगरी से हजारों आंदोलनकारियों का जत्था जहां केंद्र सरकार को घेरने दिल्ली पहुंचने को बेताब है।

वहीं केंद्र सरकार को फिलहाल कुछ खास उपाय नहीं सूझ रहा है। पदयात्रा करते दिल्ली की ओर बढ़ रहे आंदोलनकारियों का समूह सोमवार को शाम तक हरियाणा की सीमा में प्रवेश कर गया है। लोगों के लगातार जुड़ते जाने से उनके हुजूम का आकार बड़ा होता जा रहा है। पलवल जिले के होडल कस्बे में उन्होंने लाव-लश्कर के साथ पड़ाव डाल दिया है।

लेकिन केंद्र सरकार उनके आंदोलन को लेकर बहुत गंभीर नहीं दिख रहा है। वन व पर्यावरण मंत्रालय में सोमवार को दिनभर इसे लेकर कोई सुगबुगाहट नहीं थी। इसके मुकाबले जल संसाधन मंत्रालय में शाम चार बजे एक बैठक बुलाई गई थी, जिसमें राजस्थान, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और हरियाणा के जल संसाधन सचिव शामिल हुए।

बैठक में दिल्ली सरकार ने जहां हरियाणा पर पानी न छोड़ने का आरोप लगाया, वहीं हरियाणा ने इसे निराधार बताया। हथिनीकुंड से पानी छोड़ने से बड़ा मसला यमुना के पानी के प्रदूषण है, जिस पर सरकार की ओर से कोई तैयारी नहीं की जा रही है।

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