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हस्तलिखित ग्रंथ स्वर्ण मंदिर को सौंपा

सांबा के एक हिंदू परिवार ने हस्तलिखित एतिहासिक महत्व वाला श्री गुरु ग्रंथ साहिब सोमवार को स्वर्ण मंदिर अमृतसर से आई टीम के हवाले कर दिया। इस ग्रंथ को पालकी में सजाकर रवाना किया गया। ग्रंथ का जगह-जगह स्वागत हुआ।

By Edited By: Published: Tue, 21 Aug 2012 12:19 PM (IST)Updated: Tue, 21 Aug 2012 12:19 PM (IST)

सांबा। सांबा के एक हिंदू परिवार ने हस्तलिखित एतिहासिक महत्व वाला श्री गुरु ग्रंथ साहिब सोमवार को स्वर्ण मंदिर अमृतसर से आई टीम के हवाले कर दिया। इस ग्रंथ को पालकी में सजाकर रवाना किया गया। ग्रंथ का जगह-जगह स्वागत हुआ।

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यह ग्रंथ वार्ड नंबर छह में पूर्व पार्षद नीलम चौहान के घर दो सौ साल से सुरक्षित था, लेकिन यह बात बहुत कम लोग जानते थे। टीम के सदस्यों ने बताया कि यह ग्रंथ स्वर्ण मंदिर में रखे गए दो ग्रंथों से हू-ब-हू मिलता है। इस हिंदू परिवार के सदस्यों सहित 96 वर्षीय शांति देवी आज भी श्री गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ बड़ी आस्था के साथ करती थीं। उनके खानदान में काफी समय से श्री गुरु ग्रंथ साहिब का सत्कार होता रहा है।

शांति देवी की बहू पूर्व पार्षद नीलम चौहान ने बताया कि छह पीढ़ी पूर्व उनके परिवार के बुजुर्ग कृपा राम चौहान जब दिल्ली से यहां आए थे तो वह अपने साथ श्री गुरु ग्रंथ साहिब को लाए थे। वह ग्रंथ का पाठ करते थे और उसके बाद यह सिलसिला आज तक जारी था। नीलम चौहान ने बताया कि इससे पहले भी उनके पास इस ग्रंथ को लेने के लिए कई लोग आ चुके हैं। उनके घर में काफी रौनक थी। स्वर्ण मंदिर से स. स्वर्ण सिंह, स. सरणजीत सिंह और उनके साथ कुछ और लोग सुबह यहां पहुंचे और दोपहर बाद श्री गुरु ग्रंथ साहिब को अपने साथ अमृतसर ले गए।

सोमवार को पहले चौहान परिवार के घर में शबद कीर्तन हुआ और फिर पास ही स्थित गुरुद्वारे में ग्रंथ साहिब को रखा गया। वहां पर सैकड़ों लोगों ने दर्शन किए। चौहान परिवार के सदस्य भूषण चौहान, सतीश चौहान और हिम्मत चौहान ने बताया कि उन्होंने अपने दादा से सुना था कि यह श्री गुरु ग्रंथ साहिब लगभग दो सौ साल पुरानी है जो कि पंजाबी में हाथ से लिखी गई है। उन्होंने काफी सोच विचार के बाद इसे स्वर्ण मंदिर अमृतसर दरबार साहिब को भेंट करने का मन बनाया।

चौहान परिवार के सदस्य भी श्री गुरु ग्रंथ साहिब के साथ ही अमृतसर के लिए रवाना हो गए। राजमार्ग पर जगह-जगह श्री गुरु ग्रंथ साहिब की पालकी का स्वागत हुआ। कठुआ में मास्टर शिवनंदन के घर पर थोड़ी देर के लिए टीम के सदस्य रुके। यहां भी ग्रंथ का जोरदार स्वागत हुआ और कई लोगों ने माथा टेका। गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान स. चरणजीत सिंह ने बताया कि यह ग्रंथ वाकई एतिहासिक महत्व का है और सांबा में सुरक्षित रहा यह हमारे लिए गर्व की बात है।

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