रजत पत्र के मध्य विराजमान होंगे सिद्धबाबा
हजारों लोगों की आस्था का प्रतीक श्री सिद्धबली मंदिर में विराजमान सिद्धबाला को रजत पत्र के मध्य सुशोभित करने की योजना बनाई जा रही है।
कोटद्वार। हजारों लोगों की आस्था का प्रतीक श्री सिद्धबली मंदिर में विराजमान सिद्धबाला को रजत पत्र के मध्य सुशोभित करने की योजना बनाई जा रही है। योजना को फलीभूत करने के लिए श्रद्धालुओं ने मुख्य मंदिर की वाह्य दीवारों पर अपनी-अपनी श्रद्धा के अनुरूप भगवान के भित्ति चित्र वाली रजत पट्टिकाएं लगाने का कार्य शुरू कर दिया है।
सालासार वाले बालाजी महाराज की तर्ज पर यहां श्री सिद्धबली मंदिर में भी मंदिर के चारों ओर श्रद्धालुओं ने रजत पत्र लगाने शुरू कर दिए हैं। श्रद्धालुओं की ओर से लगाए जा रहे रजत पत्रों में बजरंगी बली, श्री राम दरबार, राम-सीता-लक्ष्मण की आकृतियां उकेरी गई हैं। जयपुर से बनकर आ रही रजत पट्टिकाओं को बनवाने में मंदिर समिति स्वयं सहयोग कर रही है। समिति के प्रबंधक शैलेश जोशी की माने तो मंदिर में वही रजत पट्टी लगाई जा रही है, जिनका आकार एक गुणा एक वर्ग फीट है। साथ ही रजत पट्टी पर उकेरी गई आकृति पूरी तरह हाथ से बनी हो। उन्होंने बताया कि श्रद्धालु समिति के कार्यालय में पहुंच अपनी रजत पट्टिकाएं बुक करवा रहे हैं।
मुख्य मंदिर के सामने वाले स्तंभों पर रजत पट्टियां लगाकर इस कार्य का शुभारंभ करने वाले सिद्धबाबा के भक्त व श्री सिद्धबली ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज के स्वामी अनिल कंसल बताते हैं मंदिर में पट्टियां लगाना महज श्रद्धाभाव है। उन्होंने बताया कि मंदिर के विकास के लिए जो भी संभव होगा, प्रयास किए जाएगे।
पांडवकालीन मंदिर में विराजमान होंगे भोले-
श्री सिद्धबली मंदिर समिति, मंदिर परिसर में पांडवकालीन शिल्पकला की शैली में मंदिर बनाने पर विचार कर रही है। मंदिर में भगवान शिव की प्रतिमा के साथ ही शिवलिंग की स्थापना की जाएगी। मंदिर प्रबंधक शैलेश जोशी ने बताया कि पांडवकालीन शिल्पकला शैली का मंदिर बनाने के लिए व्यापक स्तर पर कारीगरों की तलाश की जा रही है।
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