मेहनत कर छू लिया आसमान
मेहनत और लगन इंसान को आसमान की उंचाइयों तक पहुंचा देता है। ऐसी ही कुछ बहादुर नायिकायें हैं जिन्होंने मेहनत और लगन से एक अलग मुकाम हासिल किया
चोट से मिलती है ताकत
अभिलाषा महात्रे, कबड्डी प्लेयर
स्थान नवी मुंबई, महाराष्ट्र
लंगड़ी और खोखो खेलते-खेलते कबड्डी में आ गई। मेरी कद-काठी और तकनीक देखकर सबने मुझे खेलने के लिए प्रेरित किया। प्रेरणा रंग लाई, लेकिन काफी दिनों तक मैं शौकिया खेली और जीतती चली गई। नाम हुआ-शोहरत मिली, तब मैंने इसे गंभीरता से लेना शुरू किया। तकनीक पर काम किया और ईमानदारी से हर क्षेत्र में मेहनत की। हालांकि राहें इतनी आसान नहीं थीं। मध्यमवर्गीय परिवार से और लड़की होने के कारण संवेदनशील होना मेरी सबसे बड़ी कमी थी। वैसे बाद में यही मेरी ताकत बनी। अक्सर जब देर रात ट्रेनिंग पूरी करके घर लौटती तो आसपास के लोग बातें बनाते थे, लेकिन इन बातों से फर्क नहीं पड़ा, क्योंकि अब घर वाले साथ थे। मेरे कोच और मेरी रोल मॉडल हॉकी प्लेयर हेलेन मेरी ने भी इस तरह के दबाव से निकलने में मेरी मदद की। मैं हर उस धारणा को झुठलाना चाहती हूं, जो लड़की, स्मॉल टाउन या मध्यमवर्गीय परिवार से होने को कमजोरी माना जाता है। मैंने पांच इंटरनेशनल में से चार चोटिल होने के बाद भी खेले और मेडल जीता है। अर्जुन अवॉर्ड भी इसी दम पर मिला। परफॉर्मेंस को वापस लाना ही मेरा लक्ष्य रहता है। चोटिल होने पर मैं और ताकतवर हो जाती हूं।
संदेश: आलोचना ताकतवर बना सकती है, अगर खुद के प्रति ईमानदार रहें।
छोटा है आसमान
ऐश्वर्या सुष्मिता, मॉडल
स्थान दरभंगा, बिहार
पढ़ाई में अच्छी थी। गाने का भी शौक है। बेली डांसिंग भी करती हूं। बैडमिंटन की राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी रह चुकी हूं, पर मेरा सपना आईएएस बनना था। दिल्ली यूनिवर्सिटी से दर्शनशास्त्र में ग्रेजुएट किया। इस दौरान तैयारी में भी जुटी थी। मॉडलिंग दूर-दूर तक मेरी दृष्टि में नहीं थी, लेकिन कॉलेज में सौंदर्य प्रतियोगिता जीतने के बाद मेरी दुनिया बदल गई। इसके बाद किंगफिशर कैलेंडर गर्ल का खिताब जीता। देश के टॉप फैशन शोज लक्मे, अमेजन आदि में प्रतिभागी रही। कभी हील नहीं पहनी, पर मुझे बेस्ट वॉक का अवॉर्ड मिला। यह सब इसलिए हुआ, क्योंकि मैं ऐसे परिवार से आती हूं, जो जीवन मूल्यों में यकीन करता है और फाइट करते रहने के लिए प्रेरित करता है। अपने निर्णय खुद लेती हूं, क्योंकि अनुभवों ने खुद पर भरोसा करना सिखा दिया है। कहीं भी जाती हूं तो लोग कहते हैं कि तुम स्मॉल टाउन की नहीं लगती। ऐसी बातों से लड़कियों को घबराना नहीं चाहिए। खुद पर भरोसा हो तो हर मंजिल आसान है।
संदेश: नई चीजें सीखते रहें।
बदलाव के लिए बदलना होगा
श्रव्या नल्ला, इंजीनियर व एजुकेशनिस्ट
स्थान निजामाबाद, आंध्र प्रदेश
निजामाबाद के एक मध्यमवर्गीय परिवार में पली-बढ़ी, लेकिन देश-दुनिया की लड़कियों को देखकर लगता था कि मैं किसी तालाब की मेंढक की तरह हूं। खुद को उस परिवेश से बाहर निकालने का मन बनाया। बचपन में ही पिता को खो दिया था। आत्मप्रेरणा के बल पर बिट्स पिलानी में दाखिला लिया। पढ़ाई पूरी होने के बाद ऑयलफील्ड सर्विसेज कंपनी श्लमबर्गर में बतौर फील्ड इंजीनियर जॉएन किया। विभिन्न पदों पर रहते हुए पांच देशों में काम किया। तेल रिसाव से जुड़े प्रोजेक्ट के लिए मेरा चयन हुआ, उसमें मैं एकमात्र लड़की थी। जब सहारा रेगिस्तान में तेल रिसाव संयंत्र में जी-तोड़ मेहनत करती रहती थी तो उस दौरान अहसास हुआ कि मेरे अंदर फाइटिंग स्प्रिट कितनी है। उस दुर्गम इलाके में मैं एकमात्र ऐसी महिला थी, जो पुरुषों से किसी मायने में कम नहीं थी। फिर अचानक मेरा मन बदल गया। लगा मुझे समाज के लिए भी योगदान करना चाहिए। इसलिए जॉब छोड़कर एजुकेशन के लिए काम शुरू किया। ग्रामीण युवाओं और बच्चों को रचनात्मक शिक्षा देना मेरा लक्ष्य है और शायद यही मेरी मंजिल है।
संदेश: हादसों से घबराकर कोशिश न छोड़ें।