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नलिनी को हौसलों से मिली कामयाबी

पैरा ओलंपिक बैडमिंटन खिलाड़ी नलिनी अरुणाचलम जब तीन साल की थीं तो दायां पैर पोलियो ग्रस्त हो गया था। बड़े होने पर जब वह अपनी सहेलियों को खेलते हुई देखती थीं तो मन में खेलने की इच्छा होती थी। उन्होंने एक दिन खेल के बूते अपनी पहचान बनाने की ठानी।

By Babita kashyapEdited By: Published: Sat, 07 Mar 2015 02:18 PM (IST)Updated: Sat, 07 Mar 2015 02:28 PM (IST)
नलिनी को हौसलों से मिली कामयाबी

पैरा ओलंपिक बैडमिंटन खिलाड़ी नलिनी अरुणाचलम जब तीन साल की थीं तो दायां पैर पोलियो ग्रस्त हो गया था। बड़े होने पर जब वह अपनी सहेलियों को खेलते हुई देखती थीं तो मन में खेलने की इच्छा होती थी। उन्होंने एक दिन खेल के बूते अपनी पहचान बनाने की ठानी। आज इन्होंने ढेर सारे इनाम जीतकर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी कामयाबी का डंका बजवाया है।

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दृढ़ इरादे व बुलंद हौसलों के आगे शारीरिक न्यूनता कभी बाधक नहीं बनती। पैरा ओलंपिक बैडमिंटन खिलाड़ी नलिनी अरुणाचलम ने यह साबित कर दिखाया है। इन्होंने ढेर सारे इनाम जीतकर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी कामयाबी का डंका बजवाया है। उनकी खेल उपलब्धियां ऐसी हैं जो सक्षम को भी प्रेरणा देती हैं। नलिनी नारी सशक्तीकरण के लिए भी प्रेरणास्नोत हैं।

नलिनी की शिक्षा

46 वर्षीय नलिनी अशोका एन्क्लेव मेन सेक्टर-35 में रहती हैं। वह मूल रूप से तमिलनाडु की रहने वाली हैं। उनके पिता आर. अरुणाचलम नेशनल पावर ट्रेनिंग इंस्टीटयूट में डायरेक्टर जनरल थे। माता ए.कस्तूरी गृहणी हैं। नलिनी के दो बड़े भाई ए.कल्याण सुंदरम व जवाहर हैं। बड़ी बहन विजय भारती हैं। वर्ष 1991 में पिता का फरीदाबाद ट्रांसफर होने के बाद वे यही आकर बस गए। नलिनी ने 1989 में तमिलनाडु से बी.काम की थी। इसके बाद 1993 से 1998 तक विभिन्न कंपनी और संस्थाओं में नौकरी की। दिल्ली में एनआइआरसी से सीए की पढ़ाई की और वर्ष 2001 में एम.काम कर फरीदाबाद में नेशनल हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर कारपोरेशन (एनएचपीसी) में चार्टड एकाउंटेंट के पद पर नौकरी मिल गई।

ऐसे हुई खेल की शुरुआत

तीन फीट नौ इंच की नलिनी जब तीन साल की थीं तो दायां पैर पोलियो ग्रस्त हो गया था। बड़े होने पर नलिनी कई बार पोलियोग्रस्त होने पर परेशान भी रहती थीं। नलिनी बताती हैं कि जब वह अपनी सहेलियों को खेलते हुई देखती थीं तो मन में खेलने की इच्छा होती थी। उन्होंने एक दिन खेल के बूते अपनी पहचान बनाने की ठानी। इसी सपने को साकार करने के लिए बैडमिंटन की शौकिन नलिनी ने गुरु की तलाश की। वर्ष 2001 में नलिनी की मुलाकात पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी एवं अर्जुन अवार्डी रामेश टिकाराम से हुई। इसके बाद नलिनी ने मेहनत कर नौकरी के साथ-साथ खेल में भी पहचान बनाई।

श्रेष्ठ महिला कर्मचारी अवार्ड

नलिनी खेल में ही नहीं, बल्कि नौकरी के प्रति भी पूरी तरह समर्पित हैं। इसी के चलते उन्हें श्रेष्ठ महिला कर्मचारी अवार्ड से सम्मानित हो चुकी हैं। 12 फरवरी 2013 को नई दिल्ली के फिक्की सभागार में फॉर्म आफ वूमेन इन पब्लिक सेक्टर के 23वें राष्ट्रीय सम्मेलन में नलिनी को श्रेष्ठ महिला कर्मचारी अवार्ड के अंतर्गत तृतीय पुरस्कार प्रदान किया गया था।

चैंपियनशिप के लिए चयन

भारत द्वारा इस साल दिल्ली में पहली बार इंडिया ओपन चैंपियनशिप का आयोजन होगा। इसमें भागीदारी के लिए नलिनी का चयन हो गया है। नलिनी ने इसमें बेहतर प्रदर्शन करने के लिए अभी से तैयारी शुरू कर दी है। बेहतर प्रदर्शन के लिए नलिनी सेक्टर-सात स्थित बैडमिंटन इनडोर स्टेडियम में अभ्यास कर रही हैं।

गुरु और मम्मी-पापा को श्रेय

नलिनी कहती हैं कि आज वह जिस मुकाम पर हैं, उनका श्रेय गुरु कैलाश कर्नाटक, रामेश टिकाराम और मम्मी-पापा को जाता है। एनएचपीसी के सहयोग को भी नहीं भुलाया जा सकता है। उनके सहयोग से आगे बढऩे का मौका मिला है। इन सब की प्रेरणा से मैंने अभ्यास शुरू किया था। मेरे जीवन में काफी उतार-चढ़ाव भी आए, पर मेरे अंदर और बेहतर करने का जज्बा पैदा हुआ।

पुरस्कार

-वर्ष 2008: बेंगलूरु में दूसरी एशियन पैरा ओलंपिक कप में कांस्य पदक जीता।

-वर्ष 2009: नौवीं सीनियर और तीसरी जूनियर राष्ट्रीय बैडमिंटन में स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाया।

-वर्ष 2012 : बेंगलूरु में 12वीं सीनियर और छठीं जूनियर नेशनल बैडमिंटन में कांस्य और स्वर्ण पदक जीता।

-वर्ष 2013 : यूएसए में छठे विश्व वामन खेल प्रतियोगिता में कांस्य पदक, जबकि शाटपुट और डिस्कस थ्रो में स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाया।

-13 सितंबर 2014 : चेन्नई में नेशनल ओपन पैरा बैडमिंटन चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता।

-29 दिसंबर 2014 : मुंबई में 14वें सीनियर नेशनल पैरा बैडमिंटन चैंपियनशिप में रजत पदक।

-26 जनवरी 2015 : खेल उपलब्धियों को देखते हुए सेक्टर-12 खेल परिसर फरीदाबाद में सम्मानित किया गया।

प्रस्तुति : सुनील गौड़


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