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सूखे रंगों से खेलती हूं होली- आलिया भट्ट

होली के ठीक पहले रिलीज हो रही फिल्म ‘बद्रीनाथ की दुल्हनिया’ से इस पर्व पर रंगों का उत्साह दोगुना होने की उम्मीद कर रहे हैं आलिया भट्ट और निर्देशक शशांक खेतान....

By Srishti VermaEdited By: Published: Fri, 10 Mar 2017 01:43 PM (IST)Updated: Fri, 10 Mar 2017 02:13 PM (IST)
सूखे रंगों से खेलती हूं होली- आलिया भट्ट
सूखे रंगों से खेलती हूं होली- आलिया भट्ट

निर्देशक शशांक खेतान के साथ आलिया भट्ट दूसरी बार काम कर रही हैं। हंप्टी शर्मा के बाद अब वह बद्रीनाथ की दुल्हनिया बनी हैं। फिल्म को लेकर उत्साहित आलिया से बातचीत के अंश:

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‘हंप्टी शर्मा की दुल्हनिया’ में आपके किरदार को पांच लाख का लहंगा चाहिए था। ‘बद्रीनाथ की दुल्हनिया’ में क्या डिमांड है?
-इसमें काफी रोमांस, मस्ती और गाने हैं। साथ ही एक संदेश भी है। ‘बद्रीनाथ की दुल्हनिया’ हंप्टी से ज्यादा मैच्योर फिल्म है। थोड़ा इंटेंस फिल्म है। उसकी झलक ट्रेलर में भी है। यह हंप्टी शर्मा का पार्ट 2 नहीं है, लेकिन उसकी फ्रेंचाइजी है। इसकी कहानी काफी अलग है।

यह फिल्म करण जौहर ने ऑफर की थी या शंशाक खेतान ने?
-‘हंप्टी शर्मा की दुल्हनिया’ के बाद शशांक अपनी दूसरी फिल्म भी मेरे और वरुण धवन के साथ बनाना चाहते थे। उस समय तय नहीं हुआ था कि अगली फिल्म ‘बद्रीनाथ की दुल्हनिया’ होगी। बहरहाल शशांक ने 22 पन्नों में इस फिल्म की कहानी का सार लिखा था। वह उन्होंने करण को सुनाया। करण ने मुझे और वरुण को उसे सुनने को कहा। हम दोनों को वह बहुत भाया। उस समय फिल्म का शीर्षक तय नहीं हुआ था। बस वरुण के किरदार का नाम बद्रीनाथ था। फिर करण और शशांक ने उसे फ्रेंचाइजी बनाने का फैसला किया।

अपने किरदार वैदेही के बारे में बताएं?
-वह बहुत इंटेलीजेंट और महत्वाकांक्षी लड़की है। उसकी जिंदगी का मकसद सिर्फ शादी करना नहीं है। वह एयर होस्टेस बनना चाहती है। परिवार के बेहद करीब है। वह दुनियादारी में यकीन नहीं रखती है। बहुत आत्मविश्वासी और आधुनिक लड़की है। हालांकि वह लव को लेकर कैलकुलेटिव है। उसके पीछे वजहें हैं। वह हंप्टी शर्मा की तरह डिमांड नहीं करती। मेरा किरदार कोटा से है। कोटा में इंजीनियरिंग और मेडिकल की तैयारी के ढेरों कोचिंग इंस्टीट्यूट संचालित है। वैदेही भी पढ़ाई की हसरत रखती है। हमने कोटा में शूटिंग भी की। वहां का आर्किटेक्चर बेहद खूबसूरत है। वहां पर सेवेन वंडर पार्क भी है। उसमें दुनिया के सात आश्चर्यों की लघु प्रतिकृतियां हैं। उसे फिल्म में भी दिखाया गया है। जल मंदिर में भी हमने शूटिंग की।

‘तम्मा तम्मा’ गाने पर आप लोगों को थिरकने का मौका मिला है...
-मेरा जन्मवर्ष 1993 है। मुझपर उस दौर की फिल्मों का खासा प्रभाव रहा है। वह म्यूजिक के लिए बेहतरीन दौर था। उस समय मैं टीवी पर ‘कुली नंबर 1’, ‘बीवी नंबर 1’, ‘ दिल वाले दुल्हनिया ले जाएंगे’, ‘ कुछ कुछ होता है’ जैसी फिल्में देखती थी। मैंने अपने पिता के निर्देशन में बनी फिल्में भी देखी हैं।
ट्रेलर में आप वरुण से गणित के फार्मूले पूछ रही हैं। स्कूली दिनों में आप गणित से कितना डरती थीं?
मैं गणित में औसत छात्रा थी। मुझे गणित समझ आती थी। साइंस मेरे पल्ले नहीं पड़ती थी। नौवीं कक्षा में मैंने उससे किनारा कर लिया था।

फिल्म में होली का सीक्वेंस है... आलिया कहती हैं, ‘होली पर फिल्म रिलीज हो रही है। लिहाजा होली मनाना लाजमी है। हालांकि उसे शूट करना थोड़ा कठिन होता है। रंग आपके नाक, कान और मुंह में चला जाता हैं। चेहरा भी रंग से पुत जाता है। फिर भी खूबसूरत दिखना होता है। यह आसान नहीं होता। बचपन में मुझे होली का बहुत क्रेज था। रंग भरे गुब्बारों और पिचकारी से सभी को रंगों से सराबोर करने की कोशिश होती थी। घर पर मम्मा ठंडाई बनाती थी। अब मैं गीले रंगों से दूर रहती हूं। अब लगता है कि उस दिन हम न जाने कितना पानी व्यर्थ में बहा देते हैं। हमें पानी की बर्बादी कम करनी चाहिए। मेरे हिसाब से सूखे रंगों से होली खेलनी चाहिए।’

प्रस्तुति- स्मिता श्रीवास्तव

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