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फेल्प्स के जाने से तैराकी का अंत नहीं होगा

लंदन ओलंपिक में तैराकी स्पर्धाएं खत्म हो गई और यहां मैंने जो देखा, उससे मुझे लगता है कि चार साल बाद रियो डि जेनेरियो में मुकाबला और भी दिलचस्प होने वाला है। यहां अमेरिकी महिला टीम मे मुझे काफी प्रभावित किया, क्योंकि उनमें कई युवा तैराक शामिल थीं।

By Edited By: Published: Mon, 06 Aug 2012 03:25 PM (IST)Updated: Mon, 06 Aug 2012 03:40 PM (IST)
फेल्प्स के जाने से तैराकी का अंत नहीं होगा

[मार्क स्पिट्ज की कलम से]

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लंदन ओलंपिक में तैराकी स्पर्धाएं खत्म हो गई और यहां मैंने जो देखा, उससे मुझे लगता है कि चार साल बाद रियो डि जेनेरियो में मुकाबला और भी दिलचस्प होने वाला है। यहां अमेरिकी महिला टीम मे मुझे काफी प्रभावित किया, क्योंकि उनमें कई युवा तैराक शामिल थीं। 17 साल की मिसी फ्रेंकिन हो या 800 मीटर फ्रीस्टाइल जीतने वाली 15 वर्षीय कैटी लेडेकी, मुझे यकीन है कि भविष्य में इन्हें बहुत कामयाबी मिलेगी।

चीन की महिला तैराक यी शिवेन और पुरुष तैराक सुन यांग असाधारण रहे। ये दोनों चीन के लिए राष्ट्रीय खजाने की तरह हैं, जिन्हें देखकर कई लोग तैराकी के लिए प्रेरित होंगे। इससे चीनी टीम और मजबूत होगी। 20 साल पहले भी चीनी तैराकी टीम काफी अच्छी थी। खासतौर से महिला टीम, तब भी यह सवाल था कि ये लोग किस तरह की ट्रेनिंग करते हैं। कुछ समय तक गायब रहने के बाद फिर से चीनी महिला टीम मैदान में है तो अब भी यही सवाल बरकरार है। लंदन में चीनी तैराकों के प्रदर्शन को देखते हुए लगता है कि आने वाले कुछ सालों में स्वीमिंग पूल पर उनका दबदबा बना रहने वाला है।

मुझे उम्मीद है कि रेयान लोचे रियो में भी होंगे। इसके अलावा मैं माइकल फेल्प्स को तैराकी करते हुए देखना चाहता हूं। कम से कम 100 मीटर बटरफ्लाई स्पर्धा में। फेल्प्स को जितनी सफलता मिली है, उन्हें यह समझना होगा कि यह सब तैराकी की वजह से है और आने वाला समय उनके लिए आसान नहीं होगा। दुनिया में उनका सामना ऐसे लोगों से होने वाला है, जो उनकी सफलता को इस तरह से तवज्जो नहीं देंगे। जिस तरह की कामयाबी फेल्प्स ने देखी है उनके लिए तालमेल बैठाना काफी मुश्किल होगा।

मैं यहां स्वार्थी होकर फेल्प्स को वापसी करते हुए देखना चाहता हूं, अगर वह ऐसा नहीं करते हैं तो पुरुषों की पचास प्रतिशत स्पर्धाओं में दूसरे तैराकों के जीतने के दरवाजे खुल जाएंगे। हमें नए चेहरे और विजेता मिलेंगे। 1972 म्युनिख ओलंपिक में जब मैंने सात स्वर्ण जीते और उसके बाद रिटायरमेंट लिया तो ऐसा नहीं था कि तैराकी खत्म हो गई थी। फिर चाहे फेल्प्स जितने भी गोल्ड जीत जाएं, तैराकी का अंत नहीं होने वाला है। मेरे संन्यास लेने के बाद मेरा रिकॉर्ड टूटने में 36 साल लगे। मेरे बाद मैट बियोनडिस और इयान थोर्प जैसे महान तैराक आए और उनके बाद माइकल फेल्प्स। 2016, 2020 और 2024 में भी कोई तैराक होगा, जो फेल्प्स की जगह लेगा। हम भूल जाएंगे कि फेल्प्स ने क्या किया, जैसा कि लोगों ने मुझे भुला दिया। तैराकी में नए चैंपियन आते रहेंगे और यही इसकी खूबसूरती है।

(डीपीए-टीसीएम)

लेखक पूर्व ओलंपियन हैं।

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