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एसआरसी की रिपोर्ट पर भड़के सुरेश पुजारी

जागरण संवाददाता, संबलपुर : राज्य के स्पेशल रीलिफ कमिश्नर द्वारा ओडिशा में किसानों की खुदकुशी को ले

By Edited By: Published: Thu, 26 Nov 2015 01:02 AM (IST)Updated: Thu, 26 Nov 2015 01:02 AM (IST)
एसआरसी की रिपोर्ट पर भड़के  सुरेश पुजारी

जागरण संवाददाता, संबलपुर :

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राज्य के स्पेशल रीलिफ कमिश्नर द्वारा ओडिशा में किसानों की खुदकुशी को लेकर केंद्र सरकार को भेजे गए रिपोर्ट के बाद, भाजपा के राष्ट्रीय सचिव सुरेश पुजारी ने मुख्य नवीन पटनायक को निशाना बनाते हुए उनसे पांच सवाल पूछे हैं। पुजारी ने अफसोस जताया कि फसल हानि और कर्ज के बोझ से हताश सैकड़ों किसानों की खुदकुशी को राज्य सरकार अलग रुप देने की कोशिश कर रही है।

मंगलवार की शाम होटल शीतला टावर्स में भाजपा की ओर से आयोजित संवाददाता सम्मेलन में भाजपा के राष्ट्रीय सचिव सुरेश पुजारी ने स्पेशल रीलिफ कमिश्नर के रिपोर्ट को दुर्भाग्यपूर्ण और खुदकुशी करने वाले हताश किसानों के प्रति अपमान बताया। उन्होंने बताया कि जिलाधीशों द्वारा भेजी गई रिपोर्ट पर सरकार आंख बंद कर विश्वास कर लिया है, जबकि जमीनी सच्चाई काफी अलग है। इस रिपोर्ट में खुदकुशी करने वाले 111 किसानों में से 106 का हवाला देते हुए बताया गया कि किसानों ने घरेलू कलह, अत्याधिक शराब सेवन और प्रेम- प्रसंग की वजह से खुदकुशी की है। इसी रिपोर्ट को लेकर पुजारी ने मुख्यमंत्री पटनायक से पांच सवाल पूछा है।

पुजारी ने पूछा कि क्या घरेलू कलह केवल सितंबर और अक्टूबर के महीने में होता है? क्या प्रेम और इससे हताश केवल इन्हीं दो महीनों में होती है? अगर ऐसा नहीं है तो इन दो महीनों में सैकड़ों किसानों ने खुदकुशी क्यों की? किसानों की खुदकुशी को लेकर सरकार के पास रिपोर्ट भेजने वाले जिलाधीशों ने क्या खुद कभी इन खुदकुशी की जांच पड़ताल की? शराब के नशे में लोग अपराध करते हैं। हंगामा करते हैं, लेकिन क्या कोई शराब के नशे में खुदकुशी भी करता है? पुजारी ने आगे बताया कि अगर मुख्यमंत्री पटनायक खुदकुशी करने वाले किसी भी किसान के घर जाकर उसके परिवार को संवेदना व्यक्त करते तो शायद मौत का यह सिलसिला थम सकता था। लेकिन सरकार के मंत्री और विधायक भी ऐसे किसान परिवार तक नहीं पहुंचे और अब उनके जख्म पर नमक लगा रहे हैं। उन्होंने सत्तारूढ़ दल के कुछ विधायक, सांसद का हवाला देते हुए बताया कि किसानों की खुदकुशी को उन्होंने स्वीकार किया है। ऐसे में माना जा सकता है कि जिलाधीशों द्वारा सरकार को सौंपी गई रिपोर्ट गलत है।


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