बदलनी होगी गौशाला पाड़ा बाबू तालाब की तस्वीर
तन्मय ¨सह, राजगांगपुर : राजगांगपुर की पहचान से जुड़ा गौशाला पाड़ा बाबू तालाब अब अपना अस्तित्
तन्मय ¨सह, राजगांगपुर : राजगांगपुर की पहचान से जुड़ा गौशाला पाड़ा बाबू तालाब अब अपना अस्तित्व खोने को है। करीब 50 से 60 वर्ष पुराना यह तालाब पिछले करीब दस साल से सूखा पड़ा है। सरकार व नगर पालिका की ओर से जलाशयों की सुरक्षा के लिए घोषित तमाम योजनाओं के बावजूद इस तालाब की करूण दशा लोगों को बेचैन कर रही है।
अब इलाके के लोगों को इंतजार है कि काश कोई इस तालाब को बचाने के लिए भगीरथ प्रयास करे। तालाब के आसपास रहने वाली बड़ी आबादी इस तालाब की निर्भर थी। तालाब सूखने के बाद लोगों को दैनिक कार्य के लिए भारी संकट से गुजरना पड़ा। गौशाला पाड़ा मे रहने वाली करीब ढाई से तीनहजार की आबादी के लिए महज चार चापाकल की व्यवस्था की गई है लेकिन गर्मी बढ़ने के साथ जलस्तर नीचे जाने से लगा है। लिहाजा कई चापाकलों ने काम करना लगभग बंद कर दिया है।आम लोग मिलकर करें प्रयास : तालाब लोगों की मूलभूत जरूरतों को पूरा करने में सक्षम हैं। लिहाजा आम लोगों को तालाब के बचाव के लिए आगे आने की जरूरत है। तमाम सरकारी योजनाओं व जनप्रतिनिधियों के पास जलस्रोत के संरक्षण के लिए पर्याप्त फंड मौजूद है। जरूरत है तो बस इस बात को जनप्रतिनिधियों और सरकारी प्रशासनिक अधिकारियों तक मजबूती के साथ पहुंचाने की।
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तालाब से जुड़ी है आस्था
इस तालाब से आसपास के लोगों की आस्था जुड़ी है। छठ पूजा के लिए इस तालाब के किनारे श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जमा होती रही है। बावूजद इसके अस्तित्व को बचाने के लिए कोई ठोस पहल नहीं की जा रही। लोगों ने बताया कि इस तलाब के किनारे काफी धूमधाम से पूजा होती थी लेकिन प्रशासनिक उपेक्षा के कारण अब इस तालाब के अस्तित्व पर ही खतरा है। यह तालाब परंपरा एवं संस्कृति का भी केंद्र रहा है। छठ पूजा के अलावा कुमार पूर्णिमा, मकर पर्व के मौके पर बड़ी संख्या में लोग जुटते थे। इस दौरान यहां आपसी भाईचारा भी देखने को मिलता था। सभी लोगों द्वारा मिल-जुलकर पर्व मनाने के लिए तालाब की सफाई की जाती थी।
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तालाब का पुनरुद्धार किया जाना चाहिए। इससे यहां के लोगों को इसका लाभ मिल रहा था। लेकिन तालाब सूख जाने से पुन: पुनरुद्धार की जरूरत महसूस की जा रही है। इसमें स्थानीय जनप्रतिनिधि व प्रशासन का साथ मिलने से अंचल के लोग भी इस काम में सहयोग करेंगे। जिससे इस अंचल में पानी की किल्लत को कम किया जा सकेगा।
अर¨वद साहू
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इस तालाब पर बस्तियों के करीब तीन हजार लोग निर्भर हैं। लेकिन तालाब का पानी सूख जाने से लोग नहाने-धोने के लिए भी इसका उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। यदि इस तालाब के पानी से भर दिया जाए तो इसका लाभ यहां के लोगों को मिलेगा तथा खासकर गर्मी के दिनों में लोगों को नहाने-धोने के लिए पानी की किल्लत का सामना नहीं करना पड़ेगा।
भीमसेन गौड़
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इस अंचल में अधिकतर लोग मजदूरी करते हैं। यदि इस तालाब को विकसित कर यहां से साल भर पानी मुहैेया कराया जाए तो गर्मी के दिनों में भी पानी की किल्लत नहीं होगी। जिसमें काम करने के बाद शाम के समय वापस लौटने वाले मजदूर इस तालाब में नहाकर फ्रेश हो सकते हैं।
कुशा गौड
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इस अंचल में गर्मी के दिनों में पानी की किल्लत देखी जाती है। जिसमें खासकर पीने के पानी की किल्लत होती है।यदि इस तालाब को पानी से भरकर पाइप कनेक्सन से पानी की आपूर्ति की जाए तो गर्मी के दिनों में पेयजल संकट का समाधान हो सकता है।
सुभाष हाती
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