बीजद बंद को लेकर विपक्ष सरकार पर हमलावर
पेट्रोलियम पदार्थो की मूल्य वृद्धि के विरोध में राज्य में सत्तारूढ
जागरण संवाददाता, राउरकेला : पेट्रोलियम पदार्थो की मूल्य वृद्धि के विरोध में राज्य में सत्तारूढ़ बीजू जनता दल (बीजद) की ओर से सोमवार को आहूत बंद के दौरान आम लोगों के साथ दुर्व्यवहार तथा बंद समर्थकों की दादागिरी के खिलाफ विपक्षी पार्टियों ने सीधे मुख्यमंत्री को निशाने पर लेते हुए पुलिस की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए है। भाजपा युवा मोर्चा की ओर से जहां एसपी कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री नवीन पटनायक का पुतला फूंका गया। वहीं कांग्रेस ने बंद के दौरान समर्थकों के उत्पात के बावजूद मूकदर्शक बनी रही पुलिस की भूमिका पर क्षोभ प्रकट किया है।
मंगलवार को भाजयुमो ने सोमवार को बीजद के बंद के दौरान आम लोगों के साथ हुए दुर्व्यवहार को लेकर एसपी कार्यालय के समक्ष जोरदार प्रदर्शन किया। इस दौरान मोर्चा नेताओं ने आरोप लगाया है कि बीजद के ओडिशा बंद के दौरान गली-गली में वाहनों को रोकने तथा आम लोगों के साथ दुर्व्यवहार किया गया था। बंद समर्थकों पर किसी तरह का अंकुश नहीं था और पुलिस प्रशासन मूकदर्शक बना रहा। शहर में बंद के दौरान सुबह 7 से दोपहर 12 बजे तक आम लोग परेशान रहे। यहां तक कि मरीजों को लेकर जा रहे लोगों को भी रोक कर उनसे दस्तावेज दिखाने के लिए कहा गया। बंद के दौरान राज्य में सत्तारूढ़ बीजद के कार्यकर्ताओं की गुंडागर्दी से आम लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। भाजयुमो नेताओं ने दोषियों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर एक ज्ञापन भी सौंपा। साथ ही मुख्यमंत्री नवीन पटनायक का पुतला दहन किया। इसमें जिला भाजपा अध्यक्ष जगबंधु बेहरा, धीरेन सेनापति, निहार राय, प्रमिला दास, भगवान राउत, ¨बदर ¨सह, देवेन्द्र वीरगंठिया, अमीय दास, रोशन राव, जुलू राव, एमडी सकील, बाबू साहू, जितेन्द्र अग्रवाल समेत अन्य लोग शामिल थे।
कांग्रेस ने पुलिस की भूमिका पर खड़े किए सवाल : बीजद के बंद के दौरान समर्थकों के उत्पात पर कांग्रेस ने पुलिस की भूमिका पर सवाल खड़े किए हैं। जिलाध्यक्ष बीरेन सेनापति ने कहा है कि बीजद के बंद के दौरान समर्थकों ने विभिन्न स्थानों पर टायर जलाकर पथावरोध किया। इससे आम जनता को परेशानी झेलनी पड़ी। लेकिन इन जगहों पर पुलिस बल तैनात रहने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई। जबकि विगत दिनों कांग्रेस के शांतिपूर्ण आंदोलन के दौरान सैकडा़ें कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया गया था। लेकिन सोमवार को पुलिस के समक्ष बंद समर्थकों ने उत्पात मचाने के बाद भी किसी की गिरफ्तारी न होना पुलिस की छवि पर सवाल खड़ा कर रहा है।