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अंतिम सांसें गिन रहा स्पंज उद्योग

महेंद्र महतो/ बंकेश सिंह, राउरकेला : सुंदरगढ़ जिले की पहचान से जुड़ा स्पंज उद्योग अपनी अं

By Edited By: Published: Sun, 24 Jul 2016 03:02 AM (IST)Updated: Sun, 24 Jul 2016 03:02 AM (IST)
अंतिम सांसें गिन रहा स्पंज उद्योग

महेंद्र महतो/ बंकेश सिंह, राउरकेला :

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सुंदरगढ़ जिले की पहचान से जुड़ा स्पंज उद्योग अपनी अंतिम सांसें गिन रहा है। प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े लाखों लोगों की जीविका संकट में है। जिले के करीब 45 स्पंज उद्योग में से अधिकांश में उत्पादन ठप है। बैंक कर्ज वसूली के लिए धावा न बोल दें लिहाजा घाटे के बीच उम्मीदों की चिमनी जलाकर रखी गई हैं।सकल उत्पादन में करीब 75 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई है।

तंत्र की इच्छा शक्ति में कमी उद्योग के भविष्य पर संकट खड़ा कर रही है। उद्योगपतियों में निराशा है। ट्रक-टीपर मालिक खून के आंसू रो रहे हैं। बाजार बेहाल है। गैरेज मालिक, मिस्त्री से लेकर स्पेयर पा‌र्ट्स दुकान, ढाबा मालिक, खदान व कंपनियों में लगे हजारों मजदूरों के आगे रोजी-रोटी का सवाल खड़ा हो गया है। बावजूद राजनीतिक जमात हाथ पर हाथ धरे बैठी है। न कोई विरोध, न कोई प्रदर्शन। मानो पूरी व्यवस्था ने ही इस समस्या से आंखें मूंद ली हों। जिस शहर को स्मार्ट सिटी बनाने का सपना दिखाया गया है, वहां की अर्थव्यवस्था की रीढ़ पर यह सबसे बड़ी चोट है।

इन वजहों से स्पंज उद्योग संकट में

-स्पंज उद्योग के लिए कच्चे माल की आपूर्ति करने वाले राज्य निगम ओएमसी की ओर से तय किए जाने वाले आयरन ओर का दर उद्योग की वर्तमान खरीद क्षमता के मुकाबले कहीं अधिक है। एक तरफ जहां पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में एनएमडीसी अपेक्षाकृत कम कीमत पर लौह अयस्क मुहैया करा रही है वहीं ओडिशा माइ¨नग कारपोरेशन की तय दर कहीं अधिक है।

- ¨लकेज व्यवस्था के तहत छोटे उद्योगों को मिलने वाले कोयले की गु़णवत्ता में कमी भी एक बड़ा कारण है। महंगे दर पर कोल की खरीद इन लघु उद्योगों की बैलेंस शीट बिगाड़ देती है।

- विश्व बाजार में इस्पात की मांग में आई कमी के कारण स्पंज की मांग में गिरावट आई है।

- स्पंज कारखानों के अनुपात में जिले में फर्नेस की कमी है। पहले से स्थापित अधिकांश फर्नेस सरकारी नियमावली की चपेट में आकर अकाल मृत्यु के शिकार हो गए हैं। वहीं पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ के रायपुर में फर्नेस की पर्याप्त संख्या होने के कारण स्पंज उद्योग को स्थानीय बाजार उपलब्ध हो रहा है।

- पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में बिजली की दर अपेक्षाकृत कम है। वहीं ओडिशा में ज्यादा दर होने के कारण उत्पादन लागत पर असर पड़ रहा है।

- कच्चे माल की ढुलाई के लिए राज्य सरकार ने परिवहन दर निर्धारित कर दिया है लेकिन कंपनी में तैयार होने वाले स्पंज आयरन की ढुलाई की दर तय नहीं है।


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