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जीव मात्र की सेवा ही जीवन का धर्म

मेरे पिताजी स्व. अर्जुन दास माहेश्वरी मेरे लिए पृथ्वी पर ईश्वर के स्वरूप थे। बचपन में ही मेरी माताजी

By Edited By: Published: Thu, 08 Oct 2015 05:25 PM (IST)Updated: Thu, 08 Oct 2015 05:25 PM (IST)

मेरे पिताजी स्व. अर्जुन दास माहेश्वरी मेरे लिए पृथ्वी पर ईश्वर के स्वरूप थे। बचपन में ही मेरी माताजी का स्वर्गवास हो गया था। पिताजी को जीव मात्र की सेवा करते बचपन से देखा। राजस्थान के बीकानेर जिले के नापासर गांव में पानी का घोर अभाव था। पिताजी ने गांव में स्थाई जल प्याऊ की व्यवस्था कराई। उस प्याऊ से बैलगाड़ी के जरिए कोसों दूर तक पानी भेजा जाता था। 1950 के दशक में हम राउरकेला आए। दस परिवारों को लेकर डेली मार्केट में माहेश्वरी बाड़ी बनी। पिताजी के आशीर्वाद और प्रेरणा से तीन प्याऊ बने। इसमें न्यूकोर्ट, बिरजापाली, जगन्नाथ मंदिर, बासंती कॉलोनी तथा श्री धवलेश्वर महादेव मंदिर का प्याऊ शामिल है।

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