किसानों को पांच माह बाद भी नहीं मिली क्षतिपूर्ति
जागरण संवाददाता, राउरकेला : हरी सब्जी के लिए प्रख्यात नुआगांव प्रखंड किसानों की उपेक्षा की जा रही है
जागरण संवाददाता, राउरकेला : हरी सब्जी के लिए प्रख्यात नुआगांव प्रखंड किसानों की उपेक्षा की जा रही है। इलाके में 27 मार्च 2015 को हुई ओलावृष्टि में 190 किसानों के 374 एकड़ की फसल नष्ट हो गई थी। राजस्व निरीक्षक के रिपोर्ट के आधार पर तहसीलदार से गुहार लगाने के बावजूद अब तक क्षतिपूर्ति नहीं मिली है। बैंक व लैंपस से ऋण लेकर खेती करने वाले किसानों की आर्थिक हालत दयनीय है।
नुआगांव प्रखंड में ओलावृष्टि से उर्मेइ, चितापीड़ी, बारीलेप्टा, सोरडा, बड़जोजोंदा के किसानों को भारी क्षति हुई थी। खेत में हरी सब्जी के अलावा लहसून व प्याज की खेती नष्ट हो गई थी। किसानों की शिकायत के बाद राजस्व निरीक्षक ने इसकी छानबीन की एवं रिपोर्ट भी दिया। रिपोर्ट के आधार पर सोरड़ा के सरपंच सिमोन कुजूर, उर्मेइ सरपंच सुजीत हेम्ब्रम, सुबोध उरांव, बारीपप्टा के अनिल एक्का आदि लोगों की अगुवाई में किसानों ने तत्कालीन प्रखंड विकास पदाधिकारी डी गोपाल कृष्णन, बीरमित्रपुर तहसीलदार ज्योत्सना साहू को 18 अप्रैल 2015 को ज्ञापन सौंपा एवं किसानों की हालत से अवगत कराया था। ओला वृष्टि के पांच महीने बाद भी किसानों को क्षतिपूर्ति नहीं मिल पायी है। बैंक व लैंपस से ऋण लेकर खेती करने वालों को क्षतिपूर्ति नहीं मिलने के कारण वे इसकी भरपाई नहीं कर पाये हैं। इस वर्ष रबी फसल के लिए उनके द्वारा दुबारा आवेदन करना भी मुश्किल होगा। ऋण बोझ बढ़ने के कारण वे तनाव में हैं एवं उनके साथ अनहोनी भी हो सकती है।
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कोई सूचना नहीं : तहसीलदार
नुआगांव कृषि अधिकारी पृथ्वीराज मंडल एवं उद्यान अधिकारी शारदा प्रसाद नायक ने क्षतिपूर्ति के संबंध में उनके पास किसी तरह की सूचना होने से इन्कार किया और कहा कि तहसीलदार ही इस संबंध में कुछ बता सकती है। बीरमित्रपुर तहसीलदार ज्योत्सना साहू ने क्षतिपूर्ति के संबंध में अब तक सरकार से कोई सूचना नहीं होने की बात कही।