जैनियों ने मनाया शुद्धि का पर्व पर्यूषण
जागरण संवाददाता, राउरकेला :
श्री गुर्जर जैन संघ राउरकेला की ओर से जैन धर्म में सबसे उत्तम पर्व पर्यूषण श्रद्धा पूर्वक मनाया गया। इस मौके पर अधिक दिनों तक उपवास कर क्षमायाचना करने वालों का व्रत तोड़ने के साथ सम्मानित किया गया।
जैन भवन उदितनगर में रविवार को आयोजित कार्यक्रम में श्री जैन दर्शन स्वाध्याय संघ अहमदाबाद से आयी बहनों ने पर्यूषण पर्व का महत्व व भगवान महावीर के वचनों को विस्तार पूर्वक बताया। उन्होंने बताया कि पर्यूषण को आत्म शोधन का पर्व भी कहा जाता है इसमें तप कर कर्म की निर्जरा कर अपनी काया को निर्मल बनाया जाता है। पर्यूषण आत्म जागरण का संदेश देता है और सोई आत्मा को जगाता है। यह आत्मा को पहचानने की शक्ति देता है। इस दौरान व्यक्ति की संपूर्ण शक्तियां जाग जाती है। पर्यूषण का अर्थ धर्म की आराधना करना। वर्ष भर के सांसारिक क्रिया कलाप के कारण दोष चिपक गये हैं उन्हें दूर करने का प्रयास इस पर्व में किया जाता है। दस दिनों तक क्षमा, मार्दव, आर्जव, शौच, सत्य, संयम, तप, त्याग, अकिंचन और ब्रह्मचर्य ये ही दस लक्षण धर्म के सर्वोच्च गुण हैं जो पर्यूषण पर्व के रूप में आकर जैन धर्मावलंबियों और प्राणी मात्र के प्रति सुख व शांति के संदेश देते हुए सभी को क्षमा करने व क्षमा मांगने की प्रेरणा देते हैं। यह पर्व 22 से 31 अगस्त तक चला। रविवार को अंतिम दिन जैन भवन में आयोजित कार्यक्रम में 11 दिनों तक उपवास करने वाली अंकिता अजमेरा, वत्सल संघवी, नौ दिनों तक उपवास करने वाली शिखा संघवी चांदनी मेहता, आठ दिनों का उपवास करने वाले जितेन्द्र साह, चिराग संघवी का व्रत तोड़ने के साथ उन्हें सम्मानित किया गया। पर्यूषण पर्व पर जैन धर्मावलंबियों ने आत्म शुद्धि के लिए उपवास रखे।