प्रेम का महत्व ज्ञान से अधिक : संजीव कृष्ण
जागरण संवाददाता, ब्रजराजनगर : स्थानीय विक्रम टाकिज परिसर में गत बुधवार से जारी श्रीमद्भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ के छठे दिन सोमवार को वृंदावन से आए सुप्रसिद्ध कथा वाचक संजीव कृष्ण ठाकुरजी ने समझाया कि आम लोग ज्ञान को सबसे अधिक महत्व देते हैं लेकिन वास्तव में प्रेम का महत्व ज्ञान से कहीं अधिक है।
भगवान श्रीकृष्ण के मथुरा गमन के उपरांत जब गोकुल में राधा सहित अन्य गोपिकाएं कृष्ण के विरह में व्याकुल थी तब भगवान ने अपने सखा उद्धव को एक पत्र देकर गोपियों को समझाने के लिए गोकुल भेजा। गोकुल में उद्धव को महसूस हुआ कि इन गोपियों के निस्स्वार्थ प्रेम के समक्ष उनके ज्ञान की कोई कीमत नहीं है। राधा द्वारा निर्मित श्रीकृष्ण के चित्र को पांवविहीन देखकर जब नारद जी ने प्रश्न किया कि इतना सुंदर चित्र बनाकर भी तुमने इसके पांव क्यों नहीं बनाये तो राधा का उत्तर था कि पांव के चलते श्रीकृष्ण गोकुल छोड़कर मथुरा चले गए और इस चित्र में भी पांव बना देती तो संभव है यह चित्र भी मुझे छोड़कर मथुरा चला जाता। गोपियों के इस कृष्ण प्रेम को देखकर उद्धव अभिभूत हुए बिना नहीं रह सके। बाद में रुक्मिणी विवाह के प्रसंग एवं इस अवसर पर पाए गए भजनों पर महिलाओं ने झूम-झूमकर नृत्य कर भरपूर लुत्फ उठाया। इस अवसर पर भगवान श्रीकृष्ण एवं रुक्मिणी के विवाह की झांकी भी आकर्षण का केंद्र रही।