राज्यसभा में केंद्र को मिला बीजेडी का साथ
हंगामा और भारी विरोध के बीच राज्यसभा में शुक्रवार को राजग सरकार के आर्थिक सुधारों के लिए अहम खान व खनिज विधेयक और कोयला संशोधन विधेयक भी पारित कर दिया गया। विपक्षी एकता में सेंध लगाते हुए संख्या बल में कम होने के बावजूद सरकार ने यह कामयाबी हासिल की।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। हंगामा और भारी विरोध के बीच राज्यसभा में शुक्रवार को राजग सरकार के आर्थिक सुधारों के लिए अहम खान व खनिज विधेयक और कोयला संशोधन विधेयक भी पारित कर दिया गया। विपक्षी एकता में सेंध लगाते हुए संख्या बल में कम होने के बावजूद सरकार ने यह कामयाबी हासिल की। उसकी रणनीति के चलते इन विधेयकों का विरोध कर रहीं कांग्रेस और वामपंथी पार्टियां उच्च सदन में अलग-थलग पड़ गईं। जबकि बाकी दलों ने इन बिलों का समर्थन किया, जिससे विधेयक पारित हो सके। हालांकि जद (यू) ने विधेयक के विरोध में सदन से बहिर्गमन किया।
राजनीतिक चतुराई काम आई
सरकार राजनीतिक चतुराई दिखाते हुए राज्यसभा में बहुमत वाले विपक्षी एकता में दरार डालने में सफल रही। विधेयक को 69 के मुकाबले 117 मतों से पारित कर दिया गया।
प्रवर समिति को सौंपने की मांग खारिज
शुक्रवार सुबह कार्यवाही शुरू होने के साथ ही प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस और वामदल विधेयक को दोबारा प्रवर समिति को सौंपने की मांग करने लगे। माकपा के पी राजीव के प्रस्ताव लाने पर लंबी चर्चा शुरू हो गई। विपक्ष में बोलने वालों का कहना था विधेयक का सबसे ज्यादा प्रभाव राज्यों पर पड़ेगा, लेकिन प्रवर समिति ने उनसे विचार-विमर्श नहीं किया है। सदन में कराए गए मत विभाजन के मार्फत राजीव के प्रस्ताव को 68 के मुकाबले 112 मतों से खारिज कर दिया गया।
राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के साथ ही बन जाएंगे कानून
लोकसभा से पहले ही पारित दोनों विधेयक राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के साथ ही कानून बन जाएंगे। दोनों कानून खान खनिज और कोयला विधेयक के लिए जारी अध्यादेश-2015 का स्थान लेंगे।
गैर राजग दलों से मिला समर्थन
विधेयक के समर्थन में गैर राजग दल तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, बीजू जनता दल, द्रमुक, अन्नाद्रमुक और झारखंड मुक्ति मोर्चा के साथ शिवसेना व शिरोमणि अकाली दल ने भी मतदान किया। राजीव के प्रस्ताव पर कराई गई संक्षिप्त चर्चा में सदस्यों ने आदिवासियों के विस्थापन को लेकर चिंता जताई, जो खनन से सबसे अधिक प्रभावित होंगे।
सरकार ने ली राहत की सांस
दोपहर बाद सदन में सदन में कोल माइंस (स्पेशल प्रॉविजन) विधेयक-2015 पर संक्षिप्त चर्चा के बाद पारित कर दिया गया। मत विभाजन कराए जाने पर विधेयक 62 मतों के मुकाबले 105 मतों से पारित कर दिया गया। कोयला ब्लॉक नीलामी प्रक्रिया के लिए जरूरी माने जाने वाला कोयला विधेयक भी राज्यसभा में पारित हो गया। नरेंद्र मोदी सरकार के लिए चुनौती बने इस विधेयक के राज्यसभा से पारित होने केबाद सरकार ने राहत की सांस ली है।
अब शुरू होगी कोयला ब्लॉकों की नीलामी
विधेयक लोकसभा से पहले ही पारित हो चुका है। कोयला ब्लॉकों की नीलामी अप्रैल माह के अंत में या मई माह के शुरुआत में हो सकती है जिसमें 15 से 20 और कोयला ब्लॉक की नीलामी की जा सकती है। मौजूदा कोयला अध्यादेश की समय सीमा 5 अप्रैल को खत्म हो रही है।