एवरेस्ट की शिखर पर पहुंचने के एवज में मिला जिंदगी भर का ये गम
एवरेस्ट की चोटी पर पहुंचने का सपना संजोए राबर्ट ग्रोपल ने पत्नी संग चढ़ाई शुरू की। वे शिखर पर पहुंच भी गए पर पत्नी न दे पायी उनका साथ।
राबर्ट ग्रोपल ने रविवार को सेवेन नेटवर्क के एक कार्यक्रम में बताया कि एवरेस्ट की चोटी पर पहुंचना मेरे लिए खास नहीं है क्योंकि इस खुशी को शेयर करने के लिए मेरी पत्नी ही मेरे पास नहीं। अपनी पत्नी की मौत का जिम्मेवार खुद को मानने वाले ग्रोपल के आंखों में आंसू भरे हुए थे।
ग्रोपल ने कहा,’मैंने उससे पूछा अगर मैं आगे जाउं तो तुम्हें कोई परेशानी तो नहीं, उसने कहा ‘तुम जाओ, मैं यहीं तुम्हारा इंतजार करूंगी।‘
वहां से शिखर मात्र 15 मिनट की दूरी पर था।
‘जब मैं एवरेस्ट की शिखर पर पहुंचा, खास होने वाला पल मेरे लिए खास न हो पाया क्योंकि मेरे साथ वो नहीं थी। मुझे ऐसा लगा जैसे मैंने केवल उपर-नीचे दौड़ लगायी और इसके अलावा इसका मेरे लिए कोई मायने नहीं।‘
डेली मेल के अनुसार, 34 वर्षीय डॉ. स्ट्राइडम 8850 मीटर के शिखर के करीब पहुंच चुकी थी जब वह उंचाई के कारण बीमार हो गयी। इलाज व शेरपा द्वारा ऑक्सीजन देने के बाद उसकी हालत में सुधार हुआ और वह फिर से चलने लगी। लेकिन अचानक ही वह गिरी और फिर कभी उठ न सकी।
ग्रोपल ने कहा,’ मैं उसका पति हूं और उसे सुरक्षित वापस लाना मेरा काम बनता है इसलिए यह स्वभाविक है कि मैं खुद को दोषी समझूं। मैं उसकी किसी तस्वीर को नहीं देख पा रहा हूं, क्योंकि इससे मेरा दिल दुखी होता है।‘
डॉ. स्ट्राइडम मोनाश यूनिवर्सिटी में फिनांश लेक्चरर थीं और ग्रोपल पशुओं के डॉक्टर हैं। इन दोनों ने प्रत्येक महाद्वीप के बड़े पर्वतों को लांघने के संकल्प लिया था।
बुधवार को कैंप 2 में डॉ. स्ट्राइडम का शव पहुंचा जहां से हेलिकॉप्टर के सहारे शुक्रवार को काठमांडू लाया गया।