पाकिस्तान में महिलाओं की स्थिति दयनीय, नहीं मिलता सम्मान
पाकिस्तान में महिलाओं की स्थिति आज भी दयनीय है। यहां तक कि नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई और सामाजिक कार्यकर्ता मुख्तारन माई को भी यहां सम्मान नहीं मिला। पाकिस्तान में आधी आबादी की स्थिति को लेकर यह तल्ख टिप्पणी वहां के एक प्रमुख समाचार पत्र ‘पाकिस्तान टुडे’ ने शनिवार को
इस्लामाबाद। पाकिस्तान में महिलाओं की स्थिति आज भी दयनीय है। यहां तक कि नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई और सामाजिक कार्यकर्ता मुख्तारन माई को भी यहां सम्मान नहीं मिला। पाकिस्तान में आधी आबादी की स्थिति को लेकर यह तल्ख टिप्पणी वहां के एक प्रमुख समाचार पत्र ‘पाकिस्तान टुडे’ ने शनिवार को की।
अखबार ने लिखा है कि पाकिस्तान के बनने के करीब साठ दशक बाद भी यहां महिलाएं दुनिया के किसी भी देश की तुलना में अधिक पिछड़ी हैं। यातना, प्रताड़ना, दुष्कर्म, वैवाहिक दमन और सम्मान के नाम पर हत्याएं आम बातें हैं, इसलिए इन पर बहुत शोर नहीं होता। पाकिस्तान ऐसे तत्वों को लेकर समझौतावादी हो गया है जो धर्म के नाम पर समाज पर अपनी दकियानूसी सोच थोपना चाहते हैं। अखबार ने लिखा है कि मुख्तारन माई और मलाला जैसी कुछ पीड़िताओं ने अपनी कोशिशों से अंतरराष्ट्रीय ख्याति और सराहना पाई। लेकिन, इन्हें भी पाकिस्तान में जश्न मनाने की अनुमति नहीं है। कई क्षेत्रों में सफलता हासिल की है, जैसे बेनजीर भुट्टो मुस्लिम देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनी थीं। लेकिन, बेनजीर और पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ की तथाकथित धर्मनिरपेक्ष सरकारों के कार्यकाल के दौरान भी महिलाओं की स्थिति में कोई सुधार नजर नहीं आया।