Move to Jagran APP

एक दिन में 30 लोगों से संबंध बनाने को करते थे मजबूर

बीस साल पहले महज 14 साल की उम्र में अच्‍छी नौकरी का लालच देकर मानव तस्‍कर उसे भारत ले आए और यहां जिस्‍म फरोशी के धंधे में धकेल दिया। कई सालों तक लोगों की हवस का शिकार बनने के बाद वो भाग निकली और अब इस दलदल में फंसी दूसरी

By Manoj YadavEdited By: Published: Wed, 02 Sep 2015 06:14 PM (IST)Updated: Wed, 02 Sep 2015 06:34 PM (IST)
एक दिन में 30 लोगों से संबंध बनाने को करते थे मजबूर

काठमांडू। बीस साल पहले महज 14 साल की उम्र में अच्छी नौकरी का लालच देकर मानव तस्कर उसे भारत ले आए और यहां जिस्म फरोशी के धंधे में धकेल दिया। कई सालों तक लोगों की हवस का शिकार बनने के बाद वो भाग निकली और अब इस दलदल में फंसी दूसरी नेपाली लड़कियों को भी बचाने में लगी है।

loksabha election banner

एक अंग्रेजी वेबसाइट के अनुसार सुनीता दुआवर जो कि नेपाल की रहने वाली हैं। फिलहाल जिस्म फरोशी के दलदल में फंसी लड़कियों को बचा रही है। खबर के अनुसार सुनीता को अच्छा काम और पैसे का लालच देकर भारत लाया गया, लेकिन यहां एक कमरे में बंद कर दिया गया जहां रोजाना उसे लोगों के सामने फेंक दिया जाता था। यहां तक की कई बार तो उसे नींद से उठाकर ग्राहकों के सामने परोसा जाता था।

सुनीता उन कुछ भाग्यशाली लड़कियों में से है जो वहां से भागने में सफल हो गई। नेपाल में आए भूकंप के बाद यहां फिर मानव तस्कर सक्रिय हैं। सुनीता के अनुसार उन पांच महीनों में मुझे हर रोज 30 लोगों के साथ सोना पड़ता था जबकि सरकारी छुट्टी के दिन यह संख्या बढ़कर 50 हो जाती थी। उनमें से कुछ मुझे मारते भी थे। कई बार तो जब मैं सोने की कोशिश करती तो मुझे जगा दिया जाता, क्योंकि ग्राहकों को उनकी भूख मिटानी होती थी।'

सुनीता ने आगे बताया कि 'मुझे बाहर भी नहीं जाने दिया जाता था। एक कमरा था जिसमें खिड़की की जगह दिवार में लोहे की सरियां लगी हुई थी। स्थानीय पुलिस वालों को भी रिश्वत देकर चुप करवा दिया जाता था।' सुनीता ने बताया कि एक बौद्ध भिक्षु उसकी मदद के लिए आगे आए और बचा लिया। इसके बाद वो उसे नेपाल वापस लेकर आए।

अब 36 वर्ष की हो चुकी सुनीता पूरी मेहनत से उन लड़कियों को बचाने में लगी है जो इन मानव तस्करों के निशाने पर होती हैं। सुनीता एक चैरिटी ग्रुप भी चलाती है जिसका नाम शक्ति समूह रखा है। इसमें ज्यादातर वो महिलाएं काम करती हैं जो कि वैश्यालयों से बचाई गई हैं। आंकड़ों के अनुसार नेपाल मानव तस्करों की पसंद की जगह है।

ग्लोबल स्लेवरी इंडेक्स के अनुसार दुनिया में वर्तमान में 2 लाख 28 हजार से ज्यादा नेपाली गुलामों के रूप में रह रहे हैं। वहीं यूनिसेफ की 2013 की रिपोर्ट के अनुसार हर साल 7 हजार महिलाएं और बच्चों को नेपाल से भारत वैश्यालयों में काम करने के लिए लाया जाता है। ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार लगभग 2 लाख नेपाली वैश्यालयों में काम कर रहे हैं।

भूकंप के बाद वहां की हालत और खराब है और सुनीता को चिंता है कि ऐसे में नेपाल की नाबालिग और युवा लड़कियां आसान शिकार बन जाएंगी। सुनीता के अनुसार, 'लोग काफी उत्सुक हैं सीमा पार जाकर पैसा कमाने के लिए। हमें डर है कि मानव तस्कर लड़कियों को लालच दे सकते हैं जिन्होंने अपने परिवार को खो दिया है। सुनीता के ग्रुप ने 21 लड़कियों को बचाया है जिनकी उम्र 16-19 साल के बीच है।

[साभार- नई दुनिया]


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.