एंबुलेंस देरी से आने पर महिला वैज्ञानिक को 51 करोड़ रुपये का मुआवजा
एंबुलेंस के लिए करीब दो घंटे तक इंतजार करने के कारण ब्रेन डैमेज का शिकार हुई महिला वैज्ञानिक को अदालत ने मुआवजे के रूप में पचास लाख पौंड (51 करोड़ रुपये) दिए जाने का आदेश दिया है। उत्तरी लंदन के इस्लिंगटन में रहने वाली 36 वर्षीय केरन पेटर्सन अक्टूबर, 2007 को अपने घर में फिसल कर बेहोश हो गई थी। वह ठीक से सांस नहीं
लंदन। एंबुलेंस के लिए करीब दो घंटे तक इंतजार करने के कारण ब्रेन डैमेज का शिकार हुई महिला वैज्ञानिक को अदालत ने मुआवजे के रूप में पचास लाख पौंड (51 करोड़ रुपये) दिए जाने का आदेश दिया है।
उत्तरी लंदन के इस्लिंगटन में रहने वाली 36 वर्षीय केरन पेटर्सन अक्टूबर, 2007 को अपने घर में फिसल कर बेहोश हो गई थी। वह ठीक से सांस नहीं ले पा रही थी और उनके होंठ नीले पड़ गए थे। यह देखकर केरन के दोस्त ने एबुंलेंस को फोन करके उसे तुरंत आने को कहा। एंबुलेंस सेवा केरन के घर से महज 100 यार्ड (एक किलोमीटर से कम) की दूरी पर थी। लेकिन जो पता एंबुंलेंस को दिया गया था वह अति संवेदनशील एरिया में था। इसलिए एंबुलेंस ने वहां पहुंचने से पहले पुलिस का इंतजार किया जिसमें उसे दो घंटे का समय लग गया। उधर केरन के दोस्त ने दो बार और एंबुलेंस को फोन किया लेकिन तुरंत कोई सहायता नहीं मिली।
इस बीच लंदन के किंग्स कॉलेज में अनुवांशिक वैज्ञानिक के तौर पर काम करने वाले एक डॉक्टर केरन के घर पहुंचे। उन्होंने पाया कि केरन के मस्तिष्क में ऑक्सीजन की कमी हो जाने के कारण उनका मस्तिष्क स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त हो गया था। उन्हें गंभीर रूप से दिल का दौरा भी पड़ा था।
हालांकि केरन की जान बच गई लेकिन उन्हें विशेष अस्पताल में रखा गया है। एक युवा महिला वैज्ञानिक दोबारा कभी काम नहीं कर पाएगी। बुधवार को जज रिचर्ड पार्क्स ने लंदन एंबुलेंस सर्विस एनएचएस ट्रस्ट को मुआवजे के रूप में 51 करोड़ रुपये देने का आदेश दिया।
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