Move to Jagran APP

बस एक चिंगारी, ...और छिड़ जाएगा अमेरिका-कोरिया में युद्ध

उत्तर कोरिया या अमेरिका और उसके सहयोगियों में से किसी भी पक्ष की एक छोटी सी चूक एक महायुद्ध या यू कहें तीसरे विश्वयुद्ध की भूमिका तैयार कर देगी।

By Digpal SinghEdited By: Published: Thu, 27 Apr 2017 11:18 AM (IST)Updated: Thu, 27 Apr 2017 03:51 PM (IST)
बस एक चिंगारी, ...और छिड़ जाएगा अमेरिका-कोरिया में युद्ध
बस एक चिंगारी, ...और छिड़ जाएगा अमेरिका-कोरिया में युद्ध

नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क/जेएनएन]। अमेरिकी युद्धपोत और पनडुब्बियां उत्तर कोरिया पहुंच मोर्चा संभाल चुकी हैं। उत्तर कोरिया भी युद्ध की पूरी तैयारी में है और अब तक का अपना सबसे बड़ा फायर अभ्यास कर चुका है। वाशिंगटन और प्योंगयांग से तीखे शब्द बाणों का प्रहार पिछले कई दिनों से जारी है। जापान और दक्षिण कोरिया में जंगी आपातकाल के दौरान नागरिकों को बचाए जाने का अभ्यास भी किया जा चुका है।

loksabha election banner

अमेरिका सहयोगी देश दक्षिण कोरिया में मिसाइल डिफेंस सिस्टम थाड लगा रहा है। ऐसे में रैंड कारपोरेशन के रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि स्थिति वहां पहुंच चुकी है, जहां से अब पीछे लौटना मुश्किल होता जा रहा है। किसी भी पक्ष की एक छोटी सी चूक एक महायुद्ध या यू कहें तीसरे विश्वयुद्ध की भूमिका तैयार कर देगी।

छोटी चूक बड़ी वजह

रैंड कारपोरेशन के वरिष्ठ रक्षा विश्लेषक ब्रूस बेनेट इस हालात को इतना गंभीर देख रहे हैं कि अगले तीन सप्ताह तक वे खुद दक्षिण कोरिया नहीं जाना चाहते। उनका मानना है कि किसी की भी एक छोटी सी बेवकूफी मानवता के लिए खौफनाक तस्वीर पेश कर सकती है।

अमेरिका की अडिगता

जब से डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति बने हैं, अमेरिका तभी से उत्तर कोरिया से सख्ती से पेश आ रहा है। हाल ही में रहस्यमयी राष्ट्र उत्तर कोरिया से निपटने के लिए अमेरिकी उप-राष्ट्रपति माइक पेंस ने कहा कि रणनीतिक धैर्य का युग अब खत्म हो चुका है। हमारे लिए सभी विकल्प खुले हैं।

सैन्य युद्धाभ्यास बनाम ताकत का प्रदर्शन

हाल ही में उत्तर कोरिया ने अपनी सेना के 85वें स्थापना दिवस पर भारी गोलाबारी का प्रदर्शन किया। ऐसा 

गोलाबारी अभ्यास उसने अब तक कभी नहीं किया था। विशेषज्ञों की मानें तो सैन्य अभ्यास में सीमित टैंकों 

और तोपों का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन उस प्रदर्शन को देखकर लग रहा था जैसे वह युद्ध से पहले हथियारों में लगे जंग को छुड़ा रहा हो। सैन्य अभ्यास और मोर्चे पर हथियारों और युद्धक सामग्री के जमावड़े में अमेरिका भी पीछे नहीं है।

पड़ोसियों की तैयारी 

पिछले ही महीने जापान ने बचाव अभ्यास किया। हमले के समय क्या करें, इससे संबंधित दिशानिर्देश जारी किए। दक्षिण कोरिया में ऐसा ही अभ्यास अमेरिका की मदद से किया गया और आपातकाल की स्थिति में बचने के लिए एडवायजरी जारी की। 

यह भी पढ़ें: परमाणु हथियारों के मामले में अमेरिका के आगे कहां ठहरता है उ.कोरिया

दक्षिण कोरिया में थाड

अमेरिका ने दक्षिण कोरिया में थर्मल हाई एल्टीट्यूड एरिया डिफेंस (थाड) मिसाइल डिफेंस सिस्टम लगाना शुरू कर दिया है। यह प्रणाली उत्तर कोरिया की छोटी और मध्यम रेंज की मिसाइलों का पता करने और उन्हें मार 

गिराने में सक्षम है।

किम की चाहत

नार्थ कोरियन मॉनीटरिंग ग्रुप के रक्षा विशेषज्ञ के अनुसार उत्तर कोरियाई का तानाशाह किम जोंग उन अपना अस्तित्व बचाने के लिए किसी भी तरीके से हथियार जखीरे में अंतरमहाद्वीपीय मिसाइल (आइसीबीएम) शामिल करना चाहता है। उसका मानना है कि केवल इसी एक मात्र तरीके से वह अमेरिका को रोकने में कामयाब हो सकता है। उसका सोचना है कि अगर वह अमेरिकी प्रलोभनों के बदले अपनी परमाणु महत्वाकांक्षाओं की बलि देता है तो उसका हाल भी लीबिया के मोअम्मर गद्दाफी जैसा हो सकता है।

चीन की मध्यस्थता 

कोरियाई प्रायद्वीप पर बड़े संघर्ष को टालना चीन की रणनीतिक विवशता है। अमेरिका और उत्तर कोरिया 

के बीच वह मध्यस्थता कर रहा है, लेकिन दोनों ही देश उसे खारिज कर रहे हैं। बीजिंग को चिंता है कि युद्ध के बाद उत्तर कोरियाई शरणार्थियों से चीन पट जाएगा। साथ ही एकीकृत कोरिया होने के बाद अमेरिकी 

सैनिकों की उसकी सीमा तक पहुंच हो जाएगी। 1961 में चीन और उत्तर कोरिया के बीच म्यूचुअल 

ऐड ट्रीटी हुई थी। इस संधि के अनुसार किसी भी देश पर सशस्त्र हमले की स्थिति में दूसरा तुरंत सैन्य 

मदद सहित तमाम जरूरी सहायता मुहैया कराएगा। लेकिन इसमें यह भी कहा गया है कि दोनों को शांति 

और सुरक्षा को कायम रखना होगा। चूंकि उत्तर कोरिया संधि के दूसरे पहलू का उल्लंघन कर रहा है, लिहाजा चीन उसकी मदद को बाध्य नहीं है।

यह भी पढ़ें: अमेरिका ने कोरियाई समुद्र में भेजी परमाणु पनडुब्बी, पढ़ें क्या है इसकी खासियत?


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.