ये बैक्टीरिया घातक प्लास्टिक को चट कर जाते हैं
कुछ साल पहले वैज्ञानिकों ने ऐसे फंगस पाए थे जो प्लास्टिक को नष्ट कर सकते हैं। अब जापानी वैज्ञानिकों ने ऐसे बैक्टीरिया पाए हैं जो इन्हें और तेजी से नष्ट करते हैं।
नई दिल्ली। कुछ साल पहले वैज्ञानिकों ने ऐसे फंगस पाए थे जो प्लास्टिक को नष्ट कर सकते हैं। अब जापानी वैज्ञानिकों ने ऐसे बैक्टीरिया पाए हैं जो इन्हें और तेजी से नष्ट करते हैं। इन वैज्ञानिकों का कहना है कि यह प्रकृति के वरदान की तरह है क्योंकि प्लास्टिक की शुरुआत तो 1941 के दशक में ही हुई है। इससे यह भी पता चलता है कि प्रकृति संतुलन बनाए रखने की व्यवस्था अपने आप भी करती है।
वर्ल्ड इकोनोमिक फोरम के अनुसार, दुनिया भर में हर साल 311 मीट्रिक टन प्लास्टिक बनाया जा रहा है। इनमें से सिर्फ 14 प्रतिशत की रीसाइक्लिंग हो पाती है। माना जाता है कि प्लास्टिक की उम्र करीब 400 साल तक होती है। इनमें भी पेट (पोली एथलीन टेराप्थलेट) ऐसे हैं जिनके इनसे भी ज्यादा दिनों तक बायोडीग्रेड नहीं हो पाने की आशंका है।
कैसे करते हैं
जापान के क्योटो इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के कोहियो ओडा की टीम ने इस बैक्टीरिया की खोज की है। 'साइंस' जर्नल के मुताबिक, इसका नाम इडियोनेला सेकेन्सिस है। उन्होंने पाया कि पतले फिल्म वाले पेट को ये बैक्टीरिया 30 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर छह हफ्ते में खत्म कर सकते हैं। इनके शरीर से निकलने वाले एंजाइम इसे टेरेप्थैलिक एसिड और एथलीन ग्लायकोल में बदल देते हैं। पेट इन्हीं से बनता है। इस रूप में ये पर्यावरण के लिए हानिकारक नहीं हैं। बैक्टीरिया इन्हें पचा भी लेते हैं। दोनों ही तरह से ये पर्यावरण के लिए बहुत ही लाभदायक हैं।
अब क्या
ओडा का कहना है कि जेनेटिक प्रयोग कर हम इस बैक्टीरिया की क्षमता बढ़ाने के प्रयास में हैं। इस खोज से उत्साहित जर्मनी के ग्रीफ्सवाल्ड विश्वविद्यालय के उवे बार्नशुवर का कहना है कि पेट को बायोडीग्रेड करने वाले कुछ फंगस ही मिले हैं इसलिए बैक्टीरिया मिलना बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि बैक्टीरिया का पेट को उनके मूल स्वरूप में लौटा देना भी हमारे लिए काम की चीज है क्योंकि इस तरह उनकी रीसाइक्लिंग भी हो सकती है। उन्होंने कहा कि इससे यह उम्मीद बंधी है कि प्लास्टिक के अन्य रूपों को नष्ट करने वाले बैक्टीरिया भी प्रकृति ने अब तक तैयार कर दिए होंगे। इन्हें खोजे जाने की जरूरत है।