प्लास्टिक का अंबार: पृथ्वी को ‘प्लास्टिक प्लेनेट’ में बदलने की तैयारी
एक अध्ययन के अनुसार, पृथ्वी पर जमा हो रहे प्लास्टिक कचरा इतने व्यापक तौर पर फैल गया है कि महासागर में भी इससे बचना अब मुश्किल है।
लास एंजेल्स (प्रेट्र)। एक अध्ययन के अनुसार, पृथ्वी पर जमा हो रहे प्लास्टिक के अंबार से जल्द ही पृथ्वी को प्लास्टिक प्लेनेट के तौर पर देखा जा सकता है। अध्ययन में बताया गया है कि वर्ष 1950 से अब तक मानवों ने 8.3 बिलियन मीट्रिक टन प्लास्टिक का उत्पादन किया है और इसमें से अधिकतर प्राकृतिक वातावरण या खाली स्थानों में भरे पड़े हैं।
8.3 बिलियन मीट्रिक टन प्लास्टिक
अमेरिका में जॉर्जिया यूनिवर्सिटी (यूजीए) के रिसर्चर्स ने अध्ययन किया और पाया कि 2015 तक मनुष्यों ने 8.3 मीट्रिक टन प्लास्टिक पैदा किया था जिसमें से 6.3 बिलियन टन बर्बाद हो गए थे। कुल कचरे में से 9 फीसद कचरे का पुन:चक्रण किया गया, 12 फीसद जलाया गया और 79 फीसद गड्ढ़ों या प्राकृतिक वातावरण में फैल गए। यदि वर्तमान ट्रेंड आगे भी जारी रहा तो 2050 तक प्राकृतिक वातावरण में करीब 12 बिलियन मीट्रिक टन प्लास्टिक फैल जाएगा।
सैंकड़ों हजारों साल तक रहते हैं मौजूद
यूजीए की इंजीनियरिंग की असोसिएट प्रोफेसर, जेन्ना जैमबेक ने बताया, ‘अधिकतर प्लास्टिक अर्थपूर्ण तरीके से बायोडिग्रेड नहीं होते इसलिए मनुष्यों द्वारा उत्पन्न किए जा रहे प्लास्टिक कचरे सैंकड़ों हजारों साल तक हमारे साथ रहते हैं।‘ जैमबेक ने बताया, ‘हमारे अध्ययन से पता चलता है कि हमें वस्तुओं के उपयोग व कचरा प्रबंधन पर गंभीरता पूर्वक सोचने की जरूरत है।‘ व्यापक तौर पर प्लास्टिक उत्पादन का आंकड़ा 1950 के 2 मिलियन मीट्रिक टन से 2015 के 400 मिलियन मीट्रिक टन पर पहुंच गया। यह अध्ययन जर्नल साइंस एडवांसेज में प्रकाशित हुआ।
पैकेजिंग में प्लास्टिक का होता है उपयोग
कुछ अपवाद सामग्रियां है जिनका उपयोग कंस्ट्रक्शन सेक्टर में होता है जैसे स्टील और सीमेंट वहीं प्लास्टिक का उपयोग पैकेजिंग में किया जाता है। इनमें अधिकतर वैसे होते हैं जो एक बार के उपयोग के बाद फेंक दिए जाते हैं।कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के असोसिएट प्रोफेसर रोलैंड गेयर ने बताया, ‘कुल स्टील का करीब आधा हिस्सा कंस्ट्रक्शन में जाता है इसलिए इसका दशकों तक उपयोग होता है जबकि प्लास्टिक का मामला उलट है।‘ गेयर ने कहा कुल प्लास्टिक का आधा हिस्सा चार या कुछ सालों के उपयोग के बाद बेकार हो जाता है। प्लास्टिक उत्पादन में किसी तरह की कमी का पता नहीं चल रहा है। 1950 से 2015 तक में प्लास्टिक के कुल उत्पादन का करीब आधा हिस्सा केवल अंतिम 13 सालों के दौरान हुआ है।
...इससे बच नहीं सका है महासागर
शोधकर्ताओं की इसी टीम ने 2015 के अध्ययन को जर्नल साइंस में प्रकाशित किया था जिसमें महासागर में जाने वाले प्लास्टिक कचरे की मात्रा बतायी गयी थी। उन्होंने 2010 में महासागर में प्रवेश करने वाले 8 मिलियन मीट्रिक टन प्लास्टिक की मात्रा बतायी थी। जैमबेक ने कहा, ‘आज लोग जीवित हैं जिन्हें प्लास्टिक के बगैर दुनिया याद है। उन्होंने आगे बताया, ‘लेकिन आज प्लास्टिक की मौजूदगी हर ओर है जिससे बचकर आप कहीं भी नहीं जा सकते यहां तक कि महासागर में भी प्लास्टक कचरा मौजूद है।‘
शोधकर्ताओं ने चेताया कि वे मार्केट से प्लास्टिक को पूर्णतया हटाने की मांग नहीं कर रहे हैं बल्कि प्लास्टिक उपयोग के गंभीर परिणामों से लोगों को अवगत करा रहे हैं।