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असहाय शरणार्थियों की गुहार, मदद करो या गोली मार दो

अब तक के सबसे खूंखार आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) की बढ़ती दहशत के बीच सीरियाई शरणार्थियों का संकट चरम पर पहुंच गया है। पेरिस हमले के बाद पश्चिमी देश भी हाथ खींचते नजर आ रहे हैं। इसके चलते मासूम बच्चों और महिलाओं को लिए कई परिवार सीरिया से लगी

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Fri, 27 Nov 2015 07:57 PM (IST)Updated: Fri, 27 Nov 2015 08:01 PM (IST)
असहाय शरणार्थियों की गुहार, मदद करो या गोली मार दो

अब तक के सबसे खूंखार आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) की बढ़ती दहशत के बीच सीरियाई शरणार्थियों का संकट चरम पर पहुंच गया है। पेरिस हमले के बाद पश्चिमी देश भी हाथ खींचते नजर आ रहे हैं। इसके चलते मासूम बच्चों और महिलाओं को लिए कई परिवार सीरिया से लगी तुर्की की सीमा पर फंस गए हैं। उन्होंने पश्चिमी देशों से गुहार लगाई है कि हमारी मदद करो या गोली मार दो।

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  • विरोधस्वरूप सिल लिए लब : ग्रीक-मासेडोनियन बॉर्डर पर लंबे समय से फंसे दस शरणार्थियों ने पश्चिमी देशों के खिलाफ विरोध जताने के लिए अपने होंठ सिल लिए। इनकी मांग है कि यूरोपीय देश इन्हें शरण दें। ये खुद को ईरान मूल का पता रहे हैं। इसी तरह कुछ लोगों ने अपने माथे पर ईरान लिख लिया है, तो कुछ ने छाती पर 'जस्ट फ्रीडम' लिख लिया है। ये सभी तुर्की की सीमा पर तैनात दंगा पुलिस के सामने बैठ गए हैं। यहां ऐसे करीब 1,300 शरणार्थी हैं। यहां रोज दंगा होता है।
  • इन्कार करते हुए रो पड़ीं स्वीडन की डिप्टी पीएम : स्वीडन ने और अधिक शरणार्थियों को पनाह देने से इनकार कर दिया है। इसका ऐलान करते समय डिप्टी प्रधानमंत्री असा रोमसन के आंसू निकल पड़े। शरणार्थियों के सकंट के प्रति हमेशा से स्वीडन का उदार रुख रहा है, लेकिन बीते दो माह में 80,000 लोगों को शरण देने के बाद अब सरकार को अपनी नीति बदलना पड़ रही है, क्योंकि सीमा पर भारी संख्या लोग खड़े हैं। अधिकारियों के मुताबिक, स्वीडन शरणार्थियों के लिए इसी तरह अपने दरवाजे खोलता रहा तो 1.90 लाख लोग इसी साल वहां प्रवेश कर जाएंगे। इससे व्यवस्थाएं गड़बड़ा जाएंगी।
  • तुर्की की सीमा मानवाधिकार का हनन : सीरिया से सटी तुर्की की सीमा पर हालात सबसे ज्यादा खराब हैं। तुर्की ने अपनी सीमा पर बंद कर दी है। जो लोग जबरन प्रवेश की कोशिश कर रहे हैं, उनके साथ बर्बर व्यव्हार किया जा रहा है। ह्यूमन राइट्स वॉच के मुताबिक, वहां मानवाधिकारों का हनन हो रहा है। सीनियर रिफ्यूजी रिसर्चर गैरी सिम्पसन के मुताबिक, 22 लाख शरणार्थियों का पंजीयन करने के बाद तुर्की ने हाथ टेंक दिए हैं। अब तो प्रेग्नेंट महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गों, बीमारों और जख्मी लोगों को भी दुत्कार दिया जा रहा है।

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