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वैज्ञानिकों ने मंगल ग्रह के विलुप्त वायुमंडल की गुत्थी सुलझायी

वैज्ञानिकों को मंगल ग्रह के विलुप्त वायुमंडल की गुत्थी सुलझाने में अहम कामयाबी मिली है। वैज्ञानिकों ने मंगल के वायुमंडल के बाहर एक सोलर स्टॉर्म के बारे में पता लगाया है जिससे ये साबित होता है धरती की तरह दिखने वाला मंगल ग्रह ठंडे और शुष्क रेगिस्तान में कैसे तब्दील

By Test2 test2Edited By: Published: Fri, 06 Nov 2015 09:55 AM (IST)Updated: Fri, 06 Nov 2015 10:32 AM (IST)
वैज्ञानिकों ने मंगल ग्रह के विलुप्त वायुमंडल की गुत्थी सुलझायी

फ्लोरिडा। वैज्ञानिकों को मंगल ग्रह के विलुप्त वायुमंडल की गुत्थी सुलझाने में अहम कामयाबी मिली है। वैज्ञानिकों ने मंगल के वायुमंडल के बाहर एक सोलर स्टॉर्म के बारे में पता लगाया है, जिससे ये साबित होता है धरती की तरह दिखने वाला मंगल ग्रह ठंडे और शुष्क रेगिस्तान में कैसे तब्दील हो गया।

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एक रिसर्च के मुताबिक धरती की तरह मंगल में मैगनेटिक फील्ड नहीं होता है जिसकी मदद से वो अपने वायुमंडल की रक्षा कर सके। जिसकी वजह से मंगल ग्रह सूरज की लपटों से अपने वायुमंडल को महफूज नहीं रख पाया।

8 मार्च, 2015 को नासा के मंगल अभियान से जुड़े स्पेसक्रॉफ्ट मेवेन ने सोलर स्टॉर्म के बारे में पता लगाया था। इंटर प्लेनेटरी कोरोनल मॉस इजेक्सन की वजह से ऑक्सीजन और कार्बन डाई ऑक्साइड के बहुत से कण मंगल ग्रह के स्पेस में नजर आए। मार्च में आया सोलर स्टॉर्म अब तक की सबसे बड़ी खगोलीय घटना थी।

अध्ययन का मकसद ये पता लगाना है कि सूरज से आने वाली लपटों और दूसरे कॉस्मिक किरणों का मंगल के उपरी वायुमंडल पर किस तरह का प्रभाव पड़ रहा है।

वैज्ञानिकों का कहना है कि इस अध्ययन से ये साफ होगा कि कभी पानी से भरा रहने वाला मंगल कैसे शुष्क रेगिस्तान में तब्दील हो गया। मेवेन से मिल रहे आंकड़ों की मदद से मंगल पर जीवन की संभावनाओं के बारे में पता लगाया जा सकेगा।

मेवेन अभियान से जुड़े कोलेराडो विश्वविद्यालय के ब्रुस जैकोसी ने कहा कि ये पता लगाने की कोशिश हो रही है कि मंगल ग्रह पर क्लाइमेट चेंज, स्पेस के खत्म होने की वजह से हुआ था या कोई कारण जिम्मेदार थे। उन्होंने कहा कि जैसे जैसे और जानकारी मिलेगी, मंगल ग्रह पर जिंदगी जीने की उम्मीद हकीकत में बदल जाएगी।


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