उपग्रह बताएगा ज्वालामुखी फूटेगा या नहीं!
उपग्रह के चित्रों का प्रयोग यह बताने के लिए किया जा सकता है कि ज्वालामुखी फूटने के कगार पर है कि नहीं। वैज्ञानिकों ने इस बारे में पता लगाया है।
लंदन। उपग्रह के चित्रों का प्रयोग यह बताने के लिए किया जा सकता है कि ज्वालामुखी फूटने के कगार पर है कि नहीं। वैज्ञानिकों ने इस बारे में पता लगाया है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक, प्राय: ऐसा माना जाता है कि ज्वालामुखी मैग्मा (पिघली हुई चट्टान) की गति या इसके दबाव से विकृत होता है। खास तौर पर ज्वालामुखी के ऊपर उठने का कारण मैग्मा की इसी प्रकार की गतिविधि को माना जाता है। उनके मुताबिक, मैग्मा का सतह की ओर बढ़ना ज्वालामुखी के शीघ्र फूटने का संकेत हो सकता है। हालांकि अन्य कारक भी ज्वालामुखी की विकृति पर प्रभाव डाल सकते हैं। यदि मैग्मा ऊपर बढ़ रहा हो तो भी ज्वालामुखी के फूटने में कुछ देरी हो सकती है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि सेटेलाइट रडार विकृति संबंधी मानचित्र उपलब्ध करा सकता है। इससे ज्वालामुखी में हलचल का पता लगाया जा सकता है। सेटेलाइट रडार के बिना इस प्रकार की हलचल का पता नहीं भी चल सकता है। इस अध्ययन में यूनिवसिर्टी ऑफ ब्रिस्टल, कॉर्नेल, ऑक्सफोर्ड व सदर्न मेथोडिस्ट यूनिवर्सिटी के शोधार्थी शामिल हुए।