पाकिस्तान को रणनीतिक बफर मानते थे राजीव गांधी
अभी तक यही माना जाता है कि सोवियत संघ का भारत सबसे अच्छा दोस्त रहा। लेकिन अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआइए के एक वर्गीकृत दस्तावेज में किया गया दावा इसके विपरीत 'सच' को उजागर करता है। दस्तावेज में दावा किया गया है कि शीत युद्ध के दौर में भारत के प्रधानमंत्री
वाशिंगटन। अभी तक यही माना जाता है कि सोवियत संघ का भारत सबसे अच्छा दोस्त रहा। लेकिन अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआइए के एक वर्गीकृत दस्तावेज में किया गया दावा इसके विपरीत 'सच' को उजागर करता है। दस्तावेज में दावा किया गया है कि शीत युद्ध के दौर में भारत के प्रधानमंत्री रहे राजीव गांधी ने एक अलग तरह की युक्ति सोची ली थी। पूर्व प्रधानमंत्री ने तय किया था कि यदि मास्को पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति जनरल जिया का तख्ता पलट कराता है तो भारत उस स्थिति में पाकिस्तान के रूस विरोधी नागरिक समूहों का समर्थन करेगा।
सीआइए रिपोर्ट में कहा गया है, 'नई दिल्ली पाकिस्तान को सोवियत संघ के खिलाफ रणनीतिक बफर मानता था और यदि मास्को पाकिस्तान पर शासन करने का प्रयास करता तो भारत उसका विरोध करता। नई दिल्ली और मास्को पाकिस्तान के भीतर प्रतिद्वंद्वी गुटों को समर्थन करते दिखाई दे सकते थे।' राजीव गांधी को अमेरिका और सोवियत संघ दोनों का हस्तक्षेप पसंद नहीं था।
अफगानिस्तान में सोवियत की मौजूदगी
क्षेत्रीय ताकतों और अमेरिका के लिए जटिलताएं' शीर्षक से सीआइए के 31 पृष्ठों के दस्तावेज को पोस्ट किया गया है। दस्तावेज में कहा गया है, 'प्रधानमंत्री राजीव गांधी चाहते थे कि सोवियत संघ और अमेरिका दोनों ही दक्षिण एशिया में अपनी दिलचस्पी खत्म कर ले।'
खास तौर से रक्षा क्षेत्र में भारत-सोवियत ऐतिहासिक मैत्री का जिक्र करते हुए सीआइए की अप्रैल 1985 की रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि क्षेत्र में दूरगामी सोवियत मंशा के बारे में भारत की चिंता में लगातार वृद्धि स्वाभाविक थी। इसके आगे लिखा गया है कि यदि पाकिस्तान को प्रभावी रूप से निष्प्रभावी कर दिया जाता तो उस स्थिति में भारत खुद को सोवियत के साथ टकराव की दिशा में ले जाता।