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आतंकियों के खिलाफ पाक का एक और अभियान

अपनी जमीन से आतंकियों को पूरी तरह मिटाने के मकसद से पाकिस्तान ने एक और सैन्य अभियान शुरू करने का फैसला किया है। यह अभियान अफगानिस्तान की सीमा से सटे खैबर कबायली क्षेत्र में चलाया जाएगा। 'खैबर-2' नामक इस अभियान के मार्च से शुरू होने की संभावना है।

By Sachin kEdited By: Published: Wed, 25 Feb 2015 09:30 PM (IST)Updated: Wed, 25 Feb 2015 09:37 PM (IST)
आतंकियों के खिलाफ पाक का एक और अभियान

इस्लामाबाद। अपनी जमीन से आतंकियों को पूरी तरह मिटाने के मकसद से पाकिस्तान ने एक और सैन्य अभियान शुरू करने का फैसला किया है। यह अभियान अफगानिस्तान की सीमा से सटे खैबर कबायली क्षेत्र में चलाया जाएगा। 'खैबर-2' नामक इस अभियान के मार्च से शुरू होने की संभावना है।

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पाकिस्तान टुडे ने खैबर राइफल्स के कमांडेंट तारिक हफीज के हवाले से यह जानकारी दी है। हफीज के मुताबिक, इस क्षेत्र के तिराह घाटी में छिपे तालिबान व अन्य आतंकी समूह से जुड़े लोग इस अभियान के दौरान निशाने पर होंगे।

तीसरा अभियान

खैबर-2 पाकिस्तानी सेना का तीसरा अभियान होगा। उत्तरी वजीरिस्तान में पिछले साल 15 जून को जर्ब-ए-अज्ब अभियान शुरू किया था। इसके कुछ महीनों बाद संघ प्रशासित कबायली क्षेत्र से आतंकियों को खदेड़ने के लिए खैबर-1 अभियान शुरू किया गया था। पिछले दिनों सेना ने इन दोनों अभियानों को जल्द समाप्त करने के संकेत दिए थे। गौरतलब है कि पिछले साल दिसंबर में पेशावर के सैन्य स्कूल पर हमले के बाद से आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई में पाकिस्तान काफी सख्ती दिखा रहा है।

आतंकियों की होगी ऑनलाइन पेशी

पाकिस्तान सेना अधिनियम में संशोधन से जुड़े अध्यादेश को राष्ट्रपति ममनून हुसैन ने मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही हाल ही में स्थापित किए गए सैन्य अदालतों में आतंकियों की ऑनलाइन पेशी व सुनवाई का रास्ता साफ हो गया है। डॉन ऑनलाइन के अनुसार इस अध्यादेश में ऐसी अदालतों के न्यायाधीशों, सैन्य अभियोजकों, वकीलों व गवाहों को सुरक्षा मुहैया कराने को लेकर भी जरूरी प्रावधान किए गए हैं।

आतंकियों की दो-दो सौ साल की सजा बरकरार

दो आतंकियों की याचिका खारिज करते हुए लाहौर उच्च न्यायालय ने आतंकरोधी अदालत द्वारा उन्हें सुनाई गई सजा बरकरार रखी है। 2007 में पाकिस्तानी वायु सेना के एक बस पर फिदायीन हमले के मामले में एक आतंकरोधी अदालत ने उमर फारुक व मोहसिन उर्फ बुग्ती को दो-दो सौ साल की सजा सुनाई थी।

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