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    ट्रंप की जीत से घबराया पाक, सता रही दुनिया में अलग-थलग पड़ने की चिंता

    पाकिस्तान ने ट्रंप को चुनाव अभियान के दौरान दिए गए उस बयान की याद दिलाई है जिसमें उन्होंने भारत-पाक के बीच मध्यस्थता की पेशकश की थी।

    By Sachin BajpaiEdited By: Updated: Fri, 11 Nov 2016 10:22 AM (IST)

    इस्लामाबाद, प्रेट्र । अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की जीत ने पाकिस्तान की चिंताएं बढ़ा दी है। भारत-अमेरिका के और करीब आने की संभावना से घबराए पड़ोसी देश को वैश्रि्वक स्तर पर अलग-थलग पड़ने का खतरा बढ़ने का डर सता रहा है। पाकिस्तान ने ट्रंप को चुनाव अभियान के दौरान दिए गए उस बयान की याद दिलाई है जिसमें उन्होंने भारत-पाक के बीच मध्यस्थता की पेशकश की थी।

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    पाक ने क्या कहा ?

    पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नफीस जकारिया ने गुरुवार को कहा कि उनका देश अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सरकार के साथ मिलकर काम करने को तैयार है। हम भारत-पाक के बीच तनाव घटाने के लिए मध्यस्थता करने के उनके प्रस्ताव का स्वागत करते हैं। बीते महीने चुनाव प्रचार के दौरान ट्रंप ने भारत-पाक के बीच तनाव की स्थिति को विस्फोटक बताते हुए कहा था कि यदि दोनों देश चाहें तो वे मध्यस्थता कर सकते हैं। 20 जनवरी को शपथ लेने जा रहे ट्रंप ने अपनी दक्षिण एशिया नीति का खुलासा नहीं किया है। लेकिन, आतंकवाद को लेकर उनके कड़े रुख और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कार्यशैली के मुरीद होने के कारण माना जा रहा है कि उनके नेतृत्व में नीतियां भारत के ज्यादा अनुकूल होंगी।

    ट्रंप की जीत से डरे और चिंतित हैं अमेरिकी मुसलमान

    ट्रंप की नीति से पाक में डर

    पाकिस्तानी विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में ट्रंप की पहले से व्यवसायिक परियोजनाएं चल रही हैं। मुसलमानों के अमेरिका में प्रवेश पर पाबंदी लगाने की भी वे बात कह चुके हैं। इस सूरत में उनके नेतृत्व में अमेरिका का झुकाव भारत की ओर और बढ़ सकता है। विदेश मामलों के जानकारी हसन असकारी रिजवी ने बताया कि ट्रंप के नेतृत्व में भी अमेरिका पाकिस्तान का साथ नहीं छोड़ेगा। लेकिन, निश्चित तौर पर हिलेरी क्लिंटन के मुकाबले वे बेहद सख्त राष्ट्रपति साबित होंगे। पाकिस्तान के मुकाबले उनके प्रशासन से भारत का बेहतर और आसान तालमेल रहेगा। हालांकि पाकिस्तान में अमेरिकी वाणिज्यदूत ग्रेस शेल्टन ने इन अटकलों को खारिज किया है। उन्होंने जियो न्यूज से बातचीत में कहा कि ट्रंप का निर्वाचित होना नीतियों में आमूलचूल बदलाव का संकेत नहीं है।

    आतंकवाद पर ट्रंप का सख्त रुख

    गौरतलब है कि अमेरिका और पाकिस्तान पुराने सहयोगी रहे हैं। लेकिन, आतंकवादियों को शरण देने के कारण दोनों देशों के बीच हाल में संबंधों में खटास बढ़ी है। मई में ड्रोन हमले में पाकिस्तान में अफगान तालिबान के सरगना की मौत और उड़ी में आतंकी हमले के बाद से अमेरिका की पाक नीति में काफी बदलाव देखने को मिला है। थिंक टैंक इंडिया फाउंडेशन के निदेशक शौर्य डोवाल ने ट्रंप की जीत को सकारात्मक करार देते हुए बताया कि हिलेरी के नेतृत्व में भी दोनों देशों के संबंध और मजबूत होते। मेरे हिसाब से भारत-अमेरिका के संबंध किसी व्यक्ति विशेष पर निर्भर नहीं हैं। हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन (एचएएफ) ने भी उम्मीद जताई है कि पाकिस्तान जैसे आतंकवाद प्रायोजक देशों से ट्रंप सख्ती से निपटेंगे।

    भारतीय हितों के लिहाज से सबसे बेहतर अमेरिकी राष्ट्रपति साबित होंगे ट्रंप