पाकिस्तान के हिंदू विवाह विधेयक पर सीनेट में होगी चर्चा
पाकिस्तान की सीनेट में देश के हिंदू विवाह विधेयक की एक विवादास्पद धारा पर बहस शुरू होने जा रही है। हाल ही में विधेयक को ध्वनिमत से पारित किया गया है।
लाहौर। पाकिस्तान की सीनेट में देश के हिंदू विवाह विधेयक की एक विवादास्पद धारा पर बहस शुरू होने जा रही है। हाल ही में विधेयक को ध्वनिमत से पारित किया गया है। विवादास्पद धारा में कहा गया है कि पति-पत्नी में से यदि कोई भी धर्मातरण करता है तो विवाह विच्छेद हो जाएगा।
कानून एवं न्याय पर नेशनल असेंबली समिति ने पिछले सप्ताह हिंदू विवाह पर कानून का मसौदा मंजूर किया था। दशकों की देरी और निष्कि्रयता के बाद पाकिस्तान के अल्पसंख्यक समुदाय के विवाह पंजीकरण की राह प्रशस्त की गई।
कानून एवं न्याय पर स्थायी समिति की अध्यक्ष सीनेटर नसरीन जलील ने इस सप्ताह समिति की बैठक बुलाई है। बैठक में इस मुद्दे पर विचार किया जाएगा।
हिंदू विवाह विधेयक की धारा 12(3) कहता है कि यदि पति-पत्नी में से कोई भी धर्म बदलता है तो विवाह विच्छेद हो जाएगा। जलील ने कहा कि कुछ ने धारा का विरोध किया है जबकि अन्य इसका समर्थन कर रहे हैं। समिति के सदस्यों के बीच आम राय कायम होने की जरूरत है।
डॉन अखबार के मुताबिक जलील ने कहा है, 'यदि धारा हटाने पर ही एक राय कायम होती है तो समिति उसे नेशनल असेंबली के स्पीकर के पास भेजेगी।' दूसरी तरफ नेशनल असेंबली की स्थायी समिति एक धारा को हटाए जाने के गंभीर विरोध का गवाह रही है। जेयूआइ-एफ के सांसद और इस्लामिक विचारधारा परिषद के अध्यक्ष मौलाना मोहम्मद खान शीरानी द्वारा धारा हटाने पर विरोध हुआ था।
पीपीपी की शागुफ्ता जुमानी और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के अली मोहम्मद ने कहा कि किसी एक के धर्मातरण करने पर विवाह विच्छेद होना चाहिए। पीपीपी के सीनेटर ताज हैदर ने कहा, 'मैं नहीं समझ पा रहा हूं कि दोनों में से किसी एक के इस्लाम स्वीकार कर लेने पर क्यों विवाह विच्छेद हो जाएगा। इस धारा से अंतर धर्म विवाह भी रुकेंगे।'