ब्रिटिश पीएम के खिलाफ अपने ही सांसदों ने खोला मोर्चा
यूरोपीय संघ (ईयू) की सदस्यता पर होने वाले जनमतसंग्रह से पहले ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन मुसीबत में घिर गए हैं।
लंदन, प्रेट्र : यूरोपीय संघ (ईयू) की सदस्यता पर होने वाले जनमतसंग्रह से पहले ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन मुसीबत में घिर गए हैं। सत्ताधारी कंजरवेटिव पार्टी के ही कुछ सांसदों ने उनके नेतृत्व को चुनौती दी है। बागी सांसदों ने ईयू की सदस्यता को लेकर कैमरन के खिलाफ सार्वजनिक तौर पर बोलना शुरू कर दिया है। ईयू की सदस्यता को लेकर ब्रिटेन में 23 जून को जनमतसंग्रह होना है।
कैमरन ईयू में बने रहने के पक्ष में हैं और इसके लिए जोर-शोर से अभियान चला रहे हैं। लेकिन, पार्टी के कुछ सांसदों ने चेताते हुए कहा है कि जब तक इस समूह में ब्रिटेन को बनाये रखने के लिए कैमरन का निर्णायक बहुमत से जीत हासिल नहीं करता, प्रधानमंत्री के रूप में उनका भविष्य अधर में है। सांसद नादिने डोरियस ने आइटीवी को दिए साक्षात्कार में कहा यदि समूह में बने रहने की जीत बहुत कम अंतर से होती है या अलग होने को जीत मिलती है तो कैमरन को संकट की स्थिति झेलनी पड़ सकती है।
ईयू से ब्रिटेन के बाहर होने के समर्थक सांसद एंड्रयू ब्रिडजेन ने बीबीसी से बातचीत में कहा कि कैमरन समूह में बने रहने के समर्थन में मतदाताओं को राजी करने के लिए 'अपमानजनक' दावे कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि कम से कम 50 पार्टी सांसद प्रधानमंत्री के रूख के खिलाफ हैं और वे संसद में अपना बहुमत खो चुके हैं। यह संख्या कैमरन के खिलाफ विश्र्वास मत लाने के लिए पर्याप्त है। ऐसे में माना जा रहा है कि जनमतसंग्रह के तुरंत बाद ही कैमरन के लिए मुश्किल खड़ी हो सकती है।
इससे पहले भारतीय मूल की मंत्री प्रीति पटेल ने भी इस मसले पर संडे टेलीग्राफ में लेख लिखकर कैमरन की आलोचना की थी। दूसरी ओर, कैमरन ने अब तक इस मसले पर चुप्पी साध रखी है। वे अब अभियान को आगे बढ़ाने के लिए विपक्षी नेताओं से भी मदद ले रहे हैं। इसी कड़ी में सोमवार को लेबर पार्टी के नेता और लंदन के नवनिर्वाचित मेयर सादिक खान के साथ उन्होंने 'ब्रिटेन स्ट्रांगर इन यूरोप' अभियान शुरू किया। दिलचस्प यह है कि लेबर प्रमुख जेरेमी कॉबिन के इन्कार के बावजूद खान ने प्रधानमंत्री के साथ इस मुहिम में हिस्सा लिया।