केवल पांच फीसद पंडित हुए लापता: महर्षि यूनिवर्सिटी
वाशिंगटन। आयोवा स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ महर्षि महेश योगी ने अपने बयान में कहा है कि 2600 वैदिक पंडितों में से महज पांच फीसद पंडित ही हाल के कुछ वर्षो में लापता हुए हैं। इन पंडितों को महर्षि महेश योगी के दो संस्थानों में शिक्षा दिलाने के लिए उत्तर भारत के गांवों से लाया गया था। महर्षि यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट के डीन विि
वाशिंगटन। आयोवा स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ महर्षि महेश योगी ने अपने बयान में कहा है कि 2600 वैदिक पंडितों में से महज पांच फीसद पंडित ही हाल के कुछ वर्षो में लापता हुए हैं। इन पंडितों को महर्षि महेश योगी के दो संस्थानों में शिक्षा दिलाने के लिए उत्तर भारत के गांवों से लाया गया था।
महर्षि यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट के डीन विलियम गोल्डस्टीन ने बताया, आव्रजन व सीमाशुल्क प्रवर्तन ने जानकारी दी थी कि वैदिक पंडित अमेरिकी नागरिकता छोड़ रहे हैं। 2600 पंडितों में से महज पांच फीसद पंडित ही लापता हुए हैं। इस कार्यक्रम के पहले चार वर्षो में लापता होने वाले छात्रों की संख्या काफी कम थी लेकिन पिछले कुछ महीनों में यह संख्या काफी बड़ गई है। गोल्डस्टीन ने कहा, हो सकता है कि कुछ लोगों ने इन पंडितों को लालच दिया होगा कि अगर वे संस्थान छोड़ दें और बाहर कहीं काम करें तो ज्यादा पैसा कमा सकते हैं। उन्होंने पंडितों के साथ दुर्व्यवहार और कम वेतन देने के आरोपों से इन्कार किया है।
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शिकागो से प्रकाशित होने वाले साप्ताहिक समाचारपत्र ने अपने नवीनतम अंक में इसका खुलासा किया था कि अमेरिका लाए गए 163 वैदिक पंडित दयनीय स्थिति में रह रहे हैं और उन्हें प्रति घंटे 75 सेंट्स से भी कम का भुगतान किया जाता है। गोल्डस्टेन ने दावा किया कि ये पंडित आर-1 वीजा के तहत अमेरिका लाए गए थे। इस प्रकार वह न्यूनतम मजदूरी के नियमों के अधीन नहीं आते हैं।
गोल्डस्टीन ने इन आरोपों से भी इन्कार किया है कि अमेरिका लाए गए पंडितों की उम्र 18 साल से कम है। महर्षि वैदिक सिटी और महर्षि यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट दोनों को ही फिलहाल स्वर्गीय महर्षि महेश योगी के परिजन संभालते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन संस्थाओं का प्रबंधन लापता विद्यार्थियों को ढूंढ़ने की कोशिश तक नहीं कर रहा।
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