चीन की ओबीओआर परियोजना अमेरिका के लिए गंभीर चुनौती
चीन विकास बैंक और वहां के आयात-निर्यात बैंक के रिकॉर्ड बताते हैं कि इस परियोजना पर चार से आठ खरब डॉलर खर्च होने हैं।
वाशिंगटन, प्रेट्र : चीन की वन बेल्ट वन रोड (ओबीओआर) की पहल अमेरिका के लिए गंभीर रणनीतिक चुनौती है। इस परियोजना के दूरगामी परिणामों पर गंभीरता से विचार होना चाहिए। यह बात विदेशी मामलों के शीर्ष अमेरिकी विशेषज्ञ एश्ले टेलीस ने सीनेट की रक्षा मामलों की समिति के समक्ष कही है।
कार्नेगी एंडोवमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस के पदाधिकारी टेलीस ने कहा, ओबीओआर की विस्तार योजना और उसका स्तर बेचैन कर देने वाला है। चीन विकास बैंक और वहां के आयात-निर्यात बैंक के रिकॉर्ड बताते हैं कि इस परियोजना पर चार से आठ खरब डॉलर खर्च होने हैं। यह यूरोप और एशिया के बड़े हिस्से से रोड, रेल और जलमार्ग से जुड़ने की चीन की महात्वाकांक्षी योजना है। इसका आर्थिक महत्व भी है और राजनीतिक महत्व भी। इसलिए इस परियोजना का भू-रणनीतिक असर न देखना गलती होगी।
चीन उभरती हुई वैश्विक शक्ति है। उसकी आर्थिक और राजनीतिक महात्वाकांक्षा का सीधा असर अमेरिका के क्षेत्रीय मित्र देशों पर पड़ेगा। चीन के प्रयास को केवल आर्थिक नजरिये से देखना ही ठीक नहीं होगा बल्कि यह समझना पड़ेगा कि वह इस संपर्क मार्ग से दूर तक अपनी सेना को आसानी से भेज पाने में सक्षम हो जाएगा। ऐसे में आर्थिक रूप से उस पर निर्भर देश किस प्रकार से उसे सहयोग देने से इन्कार कर पाएंगे। चीन की योजना इसी तरीके से एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अपने पांव पसारने की है।
प्रिंस्टन यूनिवर्सिटी के एरॉन फ्रीडबर्ग ने भी टेलीस की सोच से सहमति जताई। उन्होंने कहा, चीन की कवायद सीमित नहीं है बल्कि वह समुद्री मार्गो पर भी अपना अधिकार चाहता है। वह नए-नए नियम और समझौते करके देशों को जोड़ रहा है। उससे सतर्क रहकर नीति बनाने की जरूरत है। उल्लेखनीय है कि ओबीओआर चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग की महात्वाकांक्षी परियोजना है।
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