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मंगल पर तैरते दिखे धूल से भरे बादल, खगोलविज्ञानी हैरान

एक शोध रिपोर्ट में बताया गया है कि लाल ग्रह पर इतने बडे़ दायरे में ऐसे बादल पहले कभी नहीं देखे गए। ग्रह का वायुमंडल बेहत पतला है, लिहाजा ऐसे बादलों का उसमें देखा जाना बेहद आश्चर्य से भरा है।

By Jagran News NetworkEdited By: Published: Tue, 17 Feb 2015 12:49 PM (IST)Updated: Tue, 17 Feb 2015 03:53 PM (IST)
मंगल पर तैरते दिखे धूल से भरे बादल, खगोलविज्ञानी हैरान

लंदन। मंगल ग्रह पर हुई एक रहस्यमयी घटना ने खगोल वैज्ञानिकों को फिर हैरत में डाल दिया है। वैज्ञानिकों की हैरानी का कारण इस बार लाल ग्रह की सतह के उपर धूल से भरे झीने बादलों का देखा जाना है। इन बादलों को शौकिया खगोल वैज्ञानिकों ने वर्ष 2012 में पहली बार देखा था, जिसके बाद धूल से भरे ये झीने बादल दो बार और करीब 20 दिनों के लिए फिर से दिखाई दिए और अचानक गायब हो गए। वैज्ञानिकों के अनुसार, यह बादल मंगल के वायुमंडल की ऊपरी सतह पर कोई 250 किलोमीटर की ऊंचाई पर करीब एक हजार किलोमीटर के दायरे में छाए हुए थे।

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साइंस पत्रिका नेचर के ताजा अंक में इन बादलों पर प्रकाशित एक शोध रिपोर्ट में बताया गया है कि लाल ग्रह पर इतने बडे़ दायरे में ऐसे बादल पहले कभी नहीं देखे गए। ग्रह का वायुमंडल बेहत पतला है, लिहाजा ऐसे बादलों का उसमें देखा जाना बेहद आश्चर्य से भरा है। यह बादल 10 घंटे से भी कम समय में बने और इन्होंने करीब 1000 गुना 500 किलोमीटर का एरिया कवर किया। यह झीने बादल करीब दस दिनों तक देखे गए, जिनकी बनावट में दिन-प्रतिदिन बदलाव होता रहा। हालांकि मंगल ग्रह की परिक्रमा कर रहा कोई भी स्पेसक्राफ्ट इसे नहीं देख सका।

इस आश्चनर्यजनक खगोलीय घटना को लेकर वैज्ञानिकों में दो मत हैं। कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि या तो यह कार्बनडाइआक्साइड और जल कणों के मिश्रण से बने बादल थे या फिर ग्रह के धुवीय क्षेत्र में उसके चुंबकीय प्रभाव और सूर्य की रोशनी के समिश्रण से बनने वाला ध्रुवीय प्रकाश था, जो तस्वीरों में चमकीला सा दिख रहा है।

शौकिया खगोल वैज्ञानिक डामियान पीच ने दूरबीन की मदद से इन बादलों को मार्च 2012 में पहली बार देखा था और उसकी कई तस्वीरें खीचीं गई थीं। पीच ने इन तस्वीरों को नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के पास भी भेज दिया था। वहीं, वैज्ञानिकों के दल ने भी इनका अध्ययन किया है और इन तस्वीरों के सही होने की पुष्टि की है, लेकिन यह बादल कैसे बने इसे लेकर रहस्य बना हुआ है और वैज्ञानिक इसका पता नहीं लगा पा रहे।

वैज्ञानिक दल का मानना है कि इस रहस्य का पता लगाने के लिए दोबारा से इन बादलों के आने का इंतजार करना होगा या फिर मंगल ग्रह के लिए भेजे गए अंतरिक्ष यानों से मिलने वाली तस्वीरों से इस बार में कुछ अहम सुराग मिल सकेंगे।


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