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यहां खंड़हर हुई इमारतों से हर रोज ही निकलते हैं मासूमों के शव

सीरिया के अलेप्‍पों में हुए ताजा हमलों ने पूरी दुनिया को फिर झकझोर कर रख दिया है। कई संगठन और देश इन हमलों को रोकने की अपील तक कर रहे हैं।

By Kamal VermaEdited By: Published: Sun, 25 Sep 2016 08:15 AM (IST)Updated: Sun, 25 Sep 2016 11:40 AM (IST)
यहां खंड़हर हुई इमारतों से हर रोज ही निकलते हैं मासूमों के शव

नई दिल्ली (जेएनएन) सीरिया की गिनती आज दुनिया के सबसे अशांत जगहों में की जाती है। यहां की धरती पर गिरने वाले बमों में हर रोज लोगों की जानें जाती हैं। सीरिया में मौजूदा समय में आतंकी संगठन आईएसआईएस के खात्मे के नाम पर रूस और अमेरिकी फौज बमबारी करती हैं। विश्व के मानचित्र पर सीरिया कभी बेहद शांत देशों में गिना जाता था। लेकिन आज इसकी तस्वीर पूरी तरह से बदल चुकी है। पिछले 24 घंटों के दौरान ही सीरियाई सेना और रूस ने यहां अकेले अलेप्पो शहर पर ही 200 के करीब हवाई हमले किए हैं। इसमें काफी संख्या में आम नागरिकों की मौत हुई है।

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सीरिया में युद्धविराम को लेकर कुछ ही समय पहले अमेरिका और रूस के बीच एक अहम समझौता हुआ था। कई बैठकों के बाद इस समझौते पर मुहर लगी थी। लेकिन ताजा हमले इस समझौते को दरकिनार होता बता रहे हैं। ताजा हमलों में रूस और सीरिया की सेना ने मिलकर आम नागरिकों को अपना निशाना बनाया है। इस हमले के बाद अलेप्पों की रोंगटे खड़े कर देने वाली तस्वीर दुनिया के सामने आई है। हमले के बाद खंडहर में तब्दील हुई इमारतों के मलबेे से अब तक कई शवों को निकाला जा चुका है। यह सिलसिला अब भी जारी है।

सीरिया में एक ही दिन में 200 हवाई हमले, EU और अमेरिका ने जताई चिंता

सीरिया में ऐसे हालात करीब 16 वर्षों से बने हुए हैं। वर्ष 2000 के बाद यहां की बदलती राजनीतिक समीकरणों ने यहां पर गृहयुद्ध की शुरुआत की। अपने ही राष्ट्रपति बशर अल असद के खिलाफ यहां के लोग एकजुट हो गए और असद के विद्रोहियों ने सरकार के खिलाफ जंग का ऐलान कर दिया। इसके बाद यहां पर लगातार सेना और विद्रोहियों के बीच गोलीबारी होती है। इसके बाद जो रही सही कसर थी वह आतंकी संगठन आईएसआईएस ने पूरी कर दी। इसको रोकने के लिए रूसी और अमेरिकी फौज ने यहां पर अब तक हजारों की तादाद में बम बरसाए हैं।

आज यहां की करीब 80 फीसद इमारतें खंडहर में तब्दील हो चुकी हैंं। सही मायने में यह खंडहरों का देश लगता है जहां टूटी हुई इमारतों के अलावा कुछ और शेष नहीं रह गया है। कहीं कहीं पर कुछ लोग दिखाई जरूर देते हैं जो अपने आने वाले पल के लिए सकुशल रहने की महज दुआ ही मांगते नजर आते हैं। यहां पर दिन रात का पता नहीं चलता है। लड़ाकू विमान से बरसने वाले बम इतना उजाला कर देते हैं कि कई बार सूरज की रोशनी भी उसके आगे फीकी साबित होती है। लेकिन सूरज की किरणें सवेरा लाती हैं और बम से निकली रोशनी मौत लाती है। यहां महज इतना ही फर्क है।

आलम यह है कि यहां छिड़े इस गृहयुद्ध में अब तक लाखों लोगों की मौत हो चुकी है। लाखों बच्चे अनाथ हो चुके हैं। हजारों परिवार जिंदगी बचाने के लिए दूसरे देशों की शरण लेने को मजबूर हैं। लेकिन इसमें भी हर किसी की किस्मत अच्छी नहीं होती है। कुछ सकुशल दूसरे देशों में पहुंच जाते हैं तो कुछ को समुद्र अपने अंदर समा लेता है।

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