कोयले के अधिक इस्तेमाल से प्रभावित हो सकती है बारिश
चीन और भारत में मानवनिर्मित सल्फर डाइऑक्साइड (एसओटू) के उत्सर्जन के पीछे कोयल एक बड़ी वजह है..
वॉशिंगटन, प्रेट्र। तेजी से विकास कर रहे भारत और चीन जैसे देशों में कोयला के बढ़ते इस्तेमाल से मॉनसून प्रणाली कमजोर हो सकती है और इससे भविष्य में बारिश की मात्रा में कमी आ सकती है। एमआईटी के नए अध्ययन में यह बात कही गई है।
पिछले साल दिसंबर में पेरिस जलवायु वार्ता में किए गए संकल्पों के बावजूद कोयला एशिया में विद्युत का प्राथमिक स्रोत बना हुआ है और इसका इस्तेमाल चीन में चरम पर पहुंच गया है। चीन और भारत में मानवनिर्मित सल्फर डाइऑक्साइड (एसओटू) के उत्सर्जन के पीछे कोयल एक बड़ी वजह है। एसओटू से वातावरण में सल्फेट ऐरोसॉल की मात्रा बढ़ती है। इन एरोसॉल से क्षेत्र में लोगों के स्वास्थ्य को ही नुकसान नहीं होता बल्कि इससे स्थानीय एवं वैश्विक जलवायु परिवर्तन पर भी प्रभाव पड़ता है।
अध्ययन के अनुसार कोयले के अधिक इस्तेमाल से भविष्य में जलवायु पर स्थानीय एवं वैश्विक स्तर पर प्रभाव पड़ेंगे। अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि जलवायु परिवर्तन कितना होता है, यह आने वाले वषरें एवं दशकों में एशिया के उर्जा संसाधनों के चयन पर निर्भर करेगा।
एमआईटी के बेंजामिन ग्रेंडे ने कहा, ‘अत्यधिक उत्सर्जन के परिदृश्य में हम एशिया, विशेषकर पूर्वी एशिया (चीन समेत) और दक्षिण एशिया (भारत समेत) में बारिश में कमी देखते हैं।’ ग्रैंडे ने कहा कि खासकर उन इलाकों में बारिश में कमी देखने को मिली है जो पहले ही जल संसाधनों की कमी से जूझ रहे हैं। यह अध्ययन जर्नल ऑफ क्लाइमेंट में प्रकाशित हुआ है।
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