पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों का किया जा रहा है सफाया
फरहनाज की किताब 'प्यूरीफाइंग द लैंड ऑफ द प्योर' का इसी महीने विमोचन किया गया है। उन्होंने पाकिस्तान के सफर को निराशाजनक करार देते हुए कहा कि वह जिस देश में पली-बढ़ी हैं, वह आज अस्तित्व में नहीं है।
वाशिंगटन, प्रेट्र : पाकिस्तान की एक जानीमानी स्कालर फरहनाज इस्पहानि ने अपने देश के नापाक मंसूबे को बेनकाब किया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों का धीरे-धीरे नरसंहार किया जा रहा है। इस्लामिक देश से उनके सफाए का यह सबसे खतरनाक तरीका है।
लेखिका, पत्रकार और राजनीतिज्ञ फरहनाज ने कहा, 'बंटवारे से ठीक पहले पाकिस्तान में इस्लाम के अलावा दूसरे धर्मो ¨हदू, सिख, ईसाई और पारसी लोगों का सही संतुलन था। आज के पाकिस्तान में उनकी आबादी 23 फीसद से घटकर महज तीन फीसद रह गई है। मैं इसे धीरे-धीरे किया गया नरसंहार मानती हूं। क्योंकि धार्मिक समुदायों के सफाए का सबसे खतरनाक प्रकार है। यह (नरसंहार) एक दिन में नहीं हुआ है। यह कुछ महीनों में भी नहीं किया गया। यह थोड़ा-थोड़ा करके किया गया।'
फरहनाज की किताब 'प्यूरीफाइंग द लैंड ऑफ द प्योर' का इसी महीने विमोचन किया गया है। उन्होंने पाकिस्तान के सफर को निराशाजनक करार देते हुए कहा कि वह जिस देश में पली-बढ़ी हैं, वह आज अस्तित्व में नहीं है। धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हालिया वैश्विक प्रवृत्ति को लेकर पूछे गए एक सवाल पर फरहनाज ने कहा कि यह चौकाने वाला है। अमेरिका जैसे देश जिन्हें अल्पसंख्यकों के लिए उदार माना जाता है वह अब उनके लिए नफरत की जगह बनते जा रहे हैं।
मेरी यह किताब लिखने के कारणों में इस बात पर ध्यान दिलाना है कि पाकिस्तान एक ऐसा उदाहरण है, जिसे पूरी दुनिया को देखने की जरूरत है। भारत का उदाहरण निश्चित तौर पर एकदम अलग है, क्योंकि भारतीय संविधान में धर्मनिरपेक्ष शब्द का उपयोग किया गया है।
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