Move to Jagran APP

इस शख्स ने 27 साल जेल में गुजारे, बाहर निकले तो दुनिया ने गले लगा लिया

नेल्सन मंडेला ने जिस तरह से देश में रंगभेद के खिलाफ अपना अभियान चलाया उसने दुनिया को अपनी ओर आकर्षित किया।

By Digpal SinghEdited By: Published: Tue, 18 Jul 2017 05:58 PM (IST)Updated: Tue, 18 Jul 2017 06:13 PM (IST)
इस शख्स ने 27 साल जेल में गुजारे, बाहर निकले तो दुनिया ने गले लगा लिया

नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। उन्हें लोग प्यार से मदीबा बुलाते थे। उन्हें लोग अफ्रीका का गांधी भी कहते हैं। रंगभेद के खिलाफ संघर्ष में उन्होंने बरसों बरस जेल में काट दिए। लेकिन एक सम्माजनक जिंदगी के लिए उनका संघर्ष जारी रहा। 27 साल जेल में रहे, लेकिन न तो उन्होंने खुद कभी हार मानी, न ही अपने समर्थकों को मानने दी। जी हां, हम दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला की बात कर रहे हैं। रंगभेद के प्रति उनका संघर्ष कितना महत्वपूर्ण था, इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उनके सम्मान में साल 2009 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने उनके जन्मदिन 18 जुलाई को 'मंडेला दिवस' के रूप में घोषित कर दिया। इसमें खास बात यह है कि उनके जीवत रहते ही उनके जन्मदिन को अंतरराष्ट्रीय दिवस के रूप में मानाया जाने लगा था।

loksabha election banner

अफ्रीका के प्यारे, दुनिया के दुलारे मंडेला

नेल्सन मंडेला 10 मई 1994 से 14 जून 1999 तक दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति रहे। अब दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति थे। उनकी सरकार ने सालों से चली आ रही रंगभेद की नीति को खत्म करने और इसे अफ्रीका की धरती से बाहर करने के लिए भरपूर काम किया। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका को एक नए युग में प्रवेश कराया। 1991 से 1997 तक वह अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे। नेल्सन मंडेला ने जिस तरह से देश में रंगभेद के खिलाफ अपना अभियान चलाया उसने दुनिया को अपनी ओर आकर्षित किया। यही कारण है कि भारत सरकार ने साल 1990 में उन्हें भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' से सम्मानित किया। मंडेला, भारत रत्न पाने वाले पहले विदेशी हैं। साल 1993 में उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया।

जेल के वो 27 साल

रंगभेद विरोधी संघर्ष के कारण नेल्सन मंडेला को तत्कालीन सरकार ने 27 साल के लिए रॉबेन द्वीप की जेल में डाल दिया था, जहां उन्हें कोयला खनिक का काम करना पड़ा। जेल में उन्हें जिस सेल में रखा गया था वह 8 फीट गुणा 7 फीट का था। यहां उन्हें एक खास-फूस की एक चटाई दी गई थी, जिस पर वह सोते थे। साल 1990 में श्वेत सरकार से हुए एक समझौते के बाद उन्होंने नए दक्षिण अफ्रीका का निर्माण किया। 

मंडेला पर गांधी का प्रभाव

नेल्सन मंडेला को अफ्रीका का गांधी भी कहा जाता है। उन्हें यूं ही यह नाम नहीं दिया गया। मंडेला गांधी जी के विचारों से खासे प्रभावित भी थे। गांधी के विचारों से ही प्रभावित होकर मंडेला ने रंगभेद के खिलाफ अपने अभियान की शुरुआत की थी। उन्हें अपनी मुहिम में ऐसी सफलता मिली कि उन्हें ही अफ्रीका का गांधी पुकारा जाने लगा। यह भी रोचक बात है कि मोहनदास करम चंद गांधी को महात्मा गांधी बनाने वाली भी दक्षिण अफ्रीका की ही धरती थी। जहां रंगभेद के कारण उन्हें ट्रेन की फर्स्ट क्लास बोगी से बाहर कर दिया गया था। इसके बाद गांधीजी ने देश लौटकर अंग्रेजों के खिलाफ जबरदस्त मुहिम चलाई और उन्हें देश से खदेड़कर ही दम लिया।


...और उस दिन सबकी आंखों में आंसू थे

लंबी बीमारी के बाद नेल्सन मंडेला का निधन 3 दिसंबर 2013 को 95 वर्ष की उम्र में हुआ। दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जूमा ने मंडेला के निधन की खबर टीवी पर सुनाई। इसके बाद दक्षिण अफ्रीका में 10 दिन का राष्ट्रीय शोक बनाया गया। मंडेला के निधन की खबर सुनकर दुनियाभर में उनके प्रशंसक निराश थे। दक्षिण अफ्रीका में उनके प्रशंसकों की आंखों में आंसू थे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.