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शांति मिशनों पर फैसला भारत का अधिकार

भारत ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन से जुड़े फैसलों में शामिल होना उसका अधिकार है। उसने सुरक्षा परिषद पर इसकी अनदेखी का आरोप लगाया है। थलसेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग ने कहा कि शांति मिशनों के लिए सैनिक मुहैया कराने के लिहाज से भारत सबसे बड़े

By Sachin kEdited By: Published: Sat, 28 Mar 2015 04:20 PM (IST)Updated: Sat, 28 Mar 2015 04:39 PM (IST)

संयुक्त राष्ट्र। भारत ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन से जुड़े फैसलों में शामिल होना उसका अधिकार है। उसने सुरक्षा परिषद पर इसकी अनदेखी का आरोप लगाया है। थलसेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग ने कहा कि शांति मिशनों के लिए सैनिक मुहैया कराने के लिहाज से भारत सबसे बड़े देशों में है। ऐसे में सैनिकों की तैनाती व शांति मिशन के गठन से संबंधित सुरक्षा परिषद के फैसलों में शामिल होने का उसे अधिकार है।

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वे संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन की ओर से आयोजित सेना प्रमुखों के सम्मेलन को शुक्रवार को संबोधित कर रहे थे। सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र के 110 से ज्यादा सदस्य देशों के थलसेना प्रमुख व वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने भाग लिया। शांति मिशन से जुड़े मसलों पर चर्चा के लिए इस सम्मेलन का आयोजन किया गया था।

इस दौरान जनरल सुहाग ने शांति मिशन से जुड़े पक्षों के बीच सहमति के तीन प्रमुख सिद्धांतों को लेकर भारत की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने कहा कि इन सिद्धांतों में निष्पक्षता, आत्मरक्षा को छोड़कर बल प्रयोग नहीं करना और दी गई जिम्मेदारी को पूरा करना शामिल है।

उन्होंने शांति मिशन के लिए सैनिक देने वाले देशों को फैसला लेने की प्रक्रिया में शामिल नहीं करने पर चिंता जताते हुए कहा यह संयुक्त राष्ट्र के चार्टर का उल्लंघन है।

गौरतलब है कि भारत पूर्व में भी कई बार इस संबंध में सुरक्षा परिषद की मनमानी के खिलाफ आवाज उठा चुका है।

49 मिशनों में भागीदार

जनरल सुहाग ने बताया कि भारत अब तक संयुक्त राष्ट्र के 49 शांति मिशन में भाग ले चुका है। उसने 1,80,000 से ज्यादा जवान मुहैया कराए हैं। अच्छी-खासी संख्या में पुलिसकर्मी भी मिशन के लिए दिए गए हैं। इस समय चल रहे 16 मिशनों में से 12 में भारत शामिल है। पिछले छह दशक में 158 भारतीय शांतिरक्षक शहीद हो चुके हैं। यह संख्या सभी सदस्य देशों में सबसे ज्यादा है।

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