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मंदी के बाद भी उत्साहित हैं नाईजीरिया के भारतीय

गुरुवार को लागोस विश्वविद्यालय में व्याख्यान के साथ उपराष्ट्रपति का नाईजीरिया दौरा समाप्त हो गया। नाईजीरिया में करीब 50 हजार भारतीय हैं।

By Manish NegiEdited By: Published: Sat, 01 Oct 2016 04:40 AM (IST)Updated: Sat, 01 Oct 2016 04:58 AM (IST)
मंदी के बाद भी उत्साहित हैं नाईजीरिया के भारतीय

लागोस, (राजीव सचान)। नाईजीरिया की वित्तीय राजधानी कहा जाने वाला लागोस भारतीयों की प्रभावी मौजूदगी के लिए भी जाना जाता है। शायद इसीलिए लागोस आते ही भारतीय उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी सबसे पहले यहां रह रहे भारतीय समुदाय के बीच पहुंचे। अपने बीच उनकी उपस्थिति से उत्साहित भारतीयों ने उनका दिल खोलकर स्वागत किया।

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गुरुवार को लागोस विश्वविद्यालय में व्याख्यान के साथ उपराष्ट्रपति का नाईजीरिया दौरा समाप्त हो गया। नाईजीरिया में करीब 50 हजार भारतीय हैं। वे सबसे ज्यादा इसी शहर में हैं। उनके अपने--अपने संगठन भी हैं और उनमें आपस में संपर्क भी है। चंद दिनों पहले ही वे दिवाली से काफी पहले दिवाली मेला मना चुके हैं। हालांकि भारतीयों के किसी समूह के पास इसकी ठीक-ठीक जानकारी नहीं कि नाईजीरिया में कुल कितने भारतीय हैं, लेकिन वे इस पर एकमत हैं कि यह देश भारत और भारतीयों के लिए बेहतर भविष्य वाला है। उनके ऐसे विचार तब हैं जब नाईजीरिया तीन-चार माह से मंदी से जूझ रहा है।

उपराष्ट्रपति के लागोस आगमन पर बुधवार को भारतीय उच्चायोग की ओर से आयोजित कार्यक्रम में जुटे करीब चार सौ भारतीयों में से अधिकतर का कहना है कि यह अनंत संभावनाओं वाला देश है। इंडियन कल्चरल एसोसिएशन के महासचिव और केवलराम समूह में वाइस प्रेसिडेंट संजीव टंडन ने कहा कि यहां तो मोदी जी को भी आना चाहिए। जबलपुर में पले-ब़़ढे संजीव के मुताबिक यह वह देश है, जहां कोई भी भारतीय मजदूर नहीं। सभी अच्छी नौकरियों में हैं या फिर उनका अपना उद्योग या व्यापार है। इसकी तस्दीक कोलकाता से यहां आकर बसे पीयूष अग्रवाल ने भी की। वह तोलाराम ग्रुप में मैनेजर-कॉर्पोरेट फाइनेंस हैं।

पीयूष के अनुसार यहां भारतीय आर्थिक रूप से मजबूत स्थिति में हैं और उनके सामने कोई सामाजिक समस्या भी नहीं। भारतीयों के सामने स्थानीय भाषषा बोलने-जानने की जरूरत इसलिए नहीं क्योंकि औसत नाईजीरियाई कामचलाऊ अंग्रेजी जानता और बोलता है। बिना ग्रामर वाली इस अंग्रेजी को पिजन इंग्लिश कहा जाता है। लागोस में इंडियन लैंग्वेज स्कूल हैं, जिनमें सीबीएसई का पाठ्यक्रम होता है। लागोस के भारतीयों ने आतंकी संगठन बोको हराम की गतिविधियों को अपनी चिंता का विषषय मानने से इनकार किया। लगभग सभी का कहना था, अरे वह तो बहुत दूर उत्तरी इलाके में है। उनके अनुसार यह वैसा ही है जैसे कश्मीर या बस्तर की घटनाओं से दिल्ली, मुंबई पर असर नहीं पड़ता। कुछ यही भाव लागोस के नाईजीरियाइओं का भी है।

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